अपडेट- चिट्ठाजगत सेवा दल की टिप्पणी मिलने के बाद हिन्दी ब्लॉग टिप्स ने संबंधित शिकायती चिट्ठी प्रशासक मंडली की भेज दी है। जवाब की प्रतीक्षा है..
अपडेट- चिट्ठाजगत ने त्वरित कार्रवाई करते हुए इस तकनीकी खामी को दुरुस्त कर दिया है। इसके लिए चिट्ठाजगत का आभार। देखिए .. बेईमान नहीं है चिट्ठाजगत..
कुन्नू जी ने अपनी पोस्ट चिट्ठाजगत VS ब्लोगवानी - कौन आगे कौन पीछे .. में साबित कर दिया है कि चिट्ठाजगत ब्लॉगवाणी से कितना आगे है। उन्होंने आंकड़ों का गजब का इस्तेमाल किया है। आज मैं आंकड़ों से यह साबित करने जा रहा हूं कि चिट्ठाजगत कितना पक्षपाती है? या यूं कहें कि उसके रेंकिंग सिस्टम में कुछ गंभीर खामियां हैं?
सबसे पहले यह जान लें कि चिट्ठाजगत की रेंकिंग क्या है और इसका निर्धारण किस तरह से होता है। इसके लिए आप यह लेख पढ़कर फिर से यहां आइए। अब आप समझ चुके होंगे कि चिट्ठाजगत पर अगर रेंकिंग सुधारनी है तो हवालों का कितना महत्व है। हवाले- मतलब दूसरे हिन्दी ब्लॉगर ने कितनी बार आपकी पोस्ट का लिंक अपनी पोस्ट में दिया है।
अब आप खुद चिट्ठाजगत का पक्षपात देखिए।
"ईर्ष्योत्पादक" लेख पर जाइए। इस पर कई ब्लॉग पोस्ट का जिक्र है। (आभार गिरीश बिल्लोरे जी का, जिन्होंने हिन्दी ब्लॉग टिप्स के लेख क्या आपके ब्लॉग का वक्त 'खराब' है? को बेहतरीन माना है।) अब आप जहा चिट्ठाजगत पर हिन्दी ब्लॉग टिप्स के हवाले देखिए। "ईर्ष्योत्पादक" का कहीं कोई जिक्र नहीं हैं।
मेरे प्यारे साथियों अंकित जी और कुन्नू जी के (और शेष अन्य के भी) हवालों में हालांकि इसका जिक्र है।
कुन्नू जी की चिट्ठाजगत रिपोर्ट
अंकित जी की चिट्ठाजगत रिपोर्ट
अगर आप ऊपर अंकित जी के हवालों को देखेंगे तो सभी पोस्ट में हिन्दी ब्लॉग टिप्स को भी लिंक किया गया है, लेकिन इस नामुराद चिट्ठाजगत ने हिन्दी ब्लॉग टिप्स के साथ पक्षपात किया है और उसे एक भी हवाला नहीं दिया है। मिसाल यहां देखिए-
मैं कुन्नू सिंह के 'कुन्नू ब्लॉग से अपना ताल्लुक नहीं बना पाता
"ईर्ष्योत्पादक"
ब्लॉग्गिंग बनी बवाल-ए-जान
पिछले कुछ दिनों में हिन्दी ब्लॉग टिप्स को रवि रतलामी जी जैसे महान ब्लॉगरों समेत कई हवाले मिले हैं (चिट्ठाचर्चा में भी कई बार), लेकिन चिट्ठाजगत इन हवालों को शुमार ही नहीं कर रहा है। हिन्दी ब्लॉग टिप्स को आखिरी हवाला 17 अक्टूबर को मिला था, लेकिन उसके बाद इसके साथ यह भेदभाव हो रहा है। कारण चाहे तकनीकी खामी हो या कुछ और, लेकिन मेरे जैसे कितने ही हिन्दी ब्लॉगर ऐसे होंगे, जिनके साथ ऐसा अन्याय हो रहा होगा और उनकी रेंकिंग लगातार कम होती जा रही होगी। 17 अक्टूबर के बाद से लगातार पोस्ट करते रहने के बावजूद मैं अपनी चिट्ठाजगत रेंक (98) को बरकरार नहीं रख पाया हूं और अब मुझे यही लगता है कि हिन्दी ब्लॉग टिप्स चिट्ठाजगत की रेंकिंग में लगातार पीछे होता जाएगा, क्योंकि इसके हवालों की गणना नहीं हो रही है।
चिट्ठाजगत पर इस खामी को समझने की मैंने कोशिश भी की, लेकिन वहां ऐसा कोई तरीका नहीं है, जिससे आप इसे सुधार सकें। और न ही ऐसा कोई जरिया, जहां आप अपनी वेदना या शिकायत दर्ज करा सकते हों।
ऐसा मत समझिए कि यह पोस्ट मैं किसी हताशा या झुंझलाहट के कारण लिख रहा हूं। लेकिन अगर कहीं नाइंसाफी हो रही हो, तो उसके खिलाफ मुंह तो खोलना ही चाहिए। वैसे हिन्दी ब्लॉग टिप्स के पास अपने प्रशंसक परिवार का पूरा समर्थन है और उसे इसके अलावा और कुछ नहीं चाहिए।
क्या आपको यह लेख पसंद आया? अगर हां, तो ...इस ब्लॉग के प्रशंसक बनिए ना !!
हिन्दी ब्लॉग टिप्स की हर नई जानकारी अपने मेल-बॉक्स में मुफ्त मंगाइए!!!!!!!!!!
क्या फ़र्क पड़ता है, कुछ दिनों की बात है, ये सारी रैंकिंग बेमानी हो जायेंगी, जिन्हें अच्छा लिखा हुआ पढ़ना है, वे कहीं से भी पढ़ लेगे, चाहे उस चिठ्ठे को रैंक मिली हो या नहीं, उसकी चर्चा हुई हो या नहीं, ये रैंकिंग वगैरह दिल को खुश करने के लिये है… कई चिठ्ठे ऐसे देखे गये हैं कि जो रैंकिंग में काफ़ी नीचे हैं लेकिन उनका "मैटर" काफ़ी जोरदार है… वैसे आपने विश्लेषण बहुत अच्छा और तकनीकि किया है, आभार…
ReplyDeleteबाप रे चिट्ठाजगत- "ईर्ष्योत्पादक" .आपने मेरी पोस्ट का हवाला दिया है, देखता हूँ मेरे हवाले है कि नहीं . जबरदस्त लिख रहे हो भईया, नायाब. मुझे यह भी बता दो आप कि कमेन्ट में कोई लिंक कैसे दूँ, आप तो दे देते हो .
ReplyDeleteदेख लिया, देख लिया : मेरे हवाले में भी आपका जिक्र नहीं है. सोलहो आने सच.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDelete>और न ही ऐसा कोई जरिया, जहां आप अपनी वेदना या शिकायत दर्ज करा सकते हों।
ReplyDeleteआपने विश्लेषण बहुत अच्छा किया है
http://www.chitthajagat.in/?humlog=ha
चिट्ठाजगत संकलक सम्बन्धी सुझाव, उलाहना व शिकायतें कृपया dakiya डॉट peti ऍट chitthajagat डॉट in को लिखें। पत्र सीधा बिना सूत्रधार के हाथों में पड़े चिट्ठाजगत के आधिकारिक चिट्ठे पर, यानी http://dakiya.peti.chitthajagat.in/ पर, प्रकाशित हो जाएगा। यहाँ पर टिप्पणियों के जरिए अन्य प्रयोक्ता या संचालकगण आपकी समस्या पर गौर कर के समाधान दे सकते हैं।
यदि आप धड़ाधड़ महाराज को अपने दिल की बात अकेले में बताना चाहते हैं तो chitthajagat ऍट chitthajagat डॉट in पर लिख सकते हैं। यहाँ भेजी डाक केवल धड़ाधड़ महाराज के जमूरों द्वारा पढ़ी जाएगी, चिट्ठे पर प्रकाशित नहीं होगी!
Achcha vishleshan kiya hai..nayee jaankari mili--
ReplyDeleteposts ki ranking se kya farq padhta hai...matter achcha hai to post padhtey hain-comment detey hain..nahin to bina comment diye aagey badh jaatey hain
अब आप खुद चिट्ठाजगत का पक्षपात देखिए।
ReplyDelete"ईर्ष्योत्पादक" लेख पर जाइए। ..................अब आप जहा चिट्ठाजगत पर हिन्दी ब्लॉग टिप्स के हवाले देखिए। "ईर्ष्योत्पादक" का कहीं कोई जिक्र नहीं हैं।
महोदय
सादर अभिवादन
धन्यवाद विशेष उल्लेख का अंतर्मन से आभारी हूँ..! आपने मेरी बात रेखांकित कर मुझ अकिंचन को सराहा आभारी ही हूँ .
सच कहूं इस काम क्या किसी भी काम में मुझे ,इस बात की अपेक्षा नहीं की मुझे प्रतिफल मिले . सच तो यह है की काम करना मेरी मूल आदतों में शामिल है , ब्लॉग लिखने की लत लगी कुछ बुजुरुआ संस्कारित तत्वों ने मुझे खूब अपमानित किया कई बार ब्लॉग को फ्लेग किया गया , भद्दे मेल भेजे , उन गुणी जनों को मेरा सादर प्रणाम स्वीकार्य हो , दूसरी और आप जैसे महानुभाव भी हैं जो की उत्साह दूना करतें हैं , सच कहूं मुझे मालूम है गंदे लोगों की वजह से दुनिया में सहज सरल संपृक्त व्यक्तित्व पहचाने जाते हैं . इस टिप्पणी को चिट्ठे के रूप मिसफिट/चिठों का चिठ्ठा में विस्तार से दिखिए आज की चर्चा के तौर पर
आपके द्वारा दी गयी जानकारी ज्ञानवर्धक है
ReplyDeleteआप कहाँ इन रैंकिंग के चक्कर में पड़ गये इन से थोड़े बहुत पाठक मिल जरूर जाते हैं लेकिन अंत में लेख में लिकी सामग्री ही पाठक दिलाती है।
ReplyDelete