पिछली पोस्ट पढ़कर आपको पता तो चल ही गया होगा कि इंटरनेट पर अपने ब्लॉग की स्थिति जानने के लिए अलेक्सा रैंकिंग और गूगल पेज रैंक का कितना महत्व है? व्यावसायिक स्तर पर आपके ब्लॉग की वास्तविक स्थिति इन्हीं रैंकिंग के माध्यम से पता चलती है। जितनी ज्यादा रैंकिंग होगी, माना जाता है कि आपके पास उतने ही ज्यादा पाठक पहुंचते हैं। ब्लॉग को रैंकिंग देने के लिए टैक्नोरेटी और हमारे अपने चिट्ठाजगत ने भी प्रयास किए हैं। ताऊजी और अजित वडनेरकर जी के आग्रह के कारण मैंने इन सभी तंत्रों को टटोला और इन्हें पहचानने की कोशिश की। करीब तीन घंटे तक शोध के उपरांत मैं आपको कुछ बता सकने की स्थिति में पहुंचा हूं।
बात शुरू करने से पहले मैं स्पष्ट कर देना चाहूंगा कि मैंने यहां चिट्ठाजगत के शीर्ष 40 चिट्ठों (दिनांक 11-04-09 शाम 4 बजे) की सभी तरह की रैंकिंग निकालने की कोशिश की है। इसके पीछे मेरा उद्देश्य रैंकिंग तंत्र पर शोध का रहा है, न कि किसी चिट्ठे को हल्का या भारी साबित करने का।
चिट्ठाजगत
चिट्ठाजगत हिन्दी चिट्ठों की रैंकिंग एक विशेष फार्मूले से तैयार करता है। यह फार्मूला कमोबेश यह है कि आपको कितने हवाले मिले हैं, पोस्ट आप किस आवृत्ति से लिखते हैं और आपके ब्लॉग को कितनी पसंद मिली हैं।
खूबियां- हिन्दी ब्लॉग का अकेला तंत्र होने के कारण लोकप्रिय। उचित फार्मूले के कारण रैंकिंग सिस्टम में पारदर्शिता।
खामियां- हवाले (बैकलिंक) वही लेता है, जो पोस्ट में हो और पोस्ट भी वह जो चिट्ठाजगत पर अवतरित हुई हो। यानी जो ब्लॉग चिट्ठाजगत पर नहीं दिखेगा उसके बैकलिंक आपकी चिट्ठाजगत रैंकिंग में कोई योगदान नहीं करेंगे। दूसरी बड़ी खामी यह है कि यह सर्वकालिक हवालों को आधार बनाता है। टॉप 40 में वे चिट्ठे भी हैं, जो महीनों से अपडेट नहीं हुए हैं। दूसरी ओर अलेक्सा पिछले तीन महीनों की और टैक्नोरेटी पिछले छह महीनों के प्रदर्शन के आधार पर रैंक देता है। ऐसे में चिट्ठाजगत पर शीर्ष 10 चिट्ठों में किसी नए चिट्ठे की एंट्री बहुत मुश्किल खेल है, क्योंकि आज का नया ब्लॉगर उनसे दो-तीन साल पीछे हो चुका है।
इस चित्र में देखिए टॉप-40 चिट्ठों को क्रम चिट्ठाजगत रैंकिंग के हिसाब से-
टैक्नोरैटी
ब्लॉग रैंकिंग का यह सार्वभौमिक मंच माना जाता है। यह बैकलिंक के आधार पर ऑथोरिटी (जैसे चिट्ठाजगत के हवाले) काउंट करता है और उसी आधार पर ब्लॉग की रैंकिंग तय करता है। यह ऑथोरिटी भी केवल पिछले छह महीने के बैकलिंक से ही तय होती है है। .यानी इसमें बने रहेने के लिए आपको निरंतर परिश्रम करना पड़ता है।
खूबियां- ब्लॉग जगत में सबसे ज्यादा लोकप्रिय रैंकिंग सिस्टम, व्यावसायिक स्तर पर भी रैंकिंग को महत्व।
कमियां- यहां अगर आपने अपने ब्लॉग को रजिस्टर नहीं कराया, तो यहां आपको कोई रैंक नहीं मिलेगी। यानी रजिस्टर करना जरूरी है। टॉप 40 चिट्ठों में से कुछ ऐसे हैं, जो यहां रजिस्टर ही नहीं है (रिपोर्ट में उनके ब्लॉग के सामने ERROR लिखा गया है)। इनसे अनुरोध करूंगा कि वे इस साइट पर जाकर रजिस्टर कर लें।
इस चित्र में देखिए टॉप-40 चिट्ठों को क्रम टैक्नोरैटी रैंकिंग के हिसाब से-
अलेक्सा
यह वेबसाइट पर ट्रेफिक की हलचल जानने और अपनी रैंकिंग का निर्धारण करने का सर्वमान्य हथियार है। यह आपको दुनिया की तमाम वेबसाइटों के बीच आपकी वेबसाइट या ब्लॉग की रैंकिंग देता है। यहां आपको रजिस्टर करना भी जरूरी नहीं है। यह खुद-ब-खुद ही आपके ब्लॉग पर विजिटर्स की हलचल का पता लगा लेता है और पूरी रिपोर्ट आपको सौंप देता है। अभी हिन्दी चिट्ठों में एक भी चिट्ठा ऐसा नहीं दिखा, जो शीर्ष 1,00,000 में शामिल हो। लेकिन जल्द ही कोई न कोई ब्लॉग आपको यह खुशखबरी सुना सकता है।
खूबियां- रैंक का निर्धारण यह पिछले तीन महीने के दौरान ब्लॉग पर आए विजिटर्स का पता लगाकर करता है। यानी अगर आप थोड़े भी असक्रिय हुए तो आपकी रैंक पीछे होती चली जाएगी। यहां एक दिन, सात दिन, एक माह और तीन माह के दौरान अपनी वेबसाइट पर ट्रेफिक की स्थिति जानी जा सकती है।
कमियां- अगर आपने किसी वेबसाइट के सबडोमेन के साथ अपना ब्लॉग बनाया है तो यह उस वेबसाइट (सबडोमेन समेत) के कुल पाठकों के आधार पर ही रैंक तय करेगा। यानी अगर एक डोमेन नेम पर आप दो सबडोमेन में दो ब्लॉग चला रहे हैं तो यह दोनों की स्थित अलग से नहीं बताएगा। देखिए आवाज और हिन्द युग्म की स्थित एक ही है, क्योंकि ये दोनों एक ही डोमेन पर हैं (टैक्नोरेटी में ऐसा नहीं है)। यहां वे ब्लॉगर फायदे में दिखेंगे जो किसी वेबसाइट के सबडोमेन पर अपना ब्लॉग चला रहे हैं।
इस चित्र में देखिए टॉप-40 चिट्ठों को क्रम अलेक्सा रैंकिंग के हिसाब से-
गूगल पेज रैंक
यह रैंक एक विशेष एलगोरिदम पर आधारित है, जो कमोबेश इंटरनेट पर कहीं भी मौजूद बैकलिंक्स को ही काउंट करता है।
खूबियां- यहां रैंक को सरल रखने के लिए 10 में से अंक दिए जाते हैं। सामान्य तौर पर 4 या उससे ऊपर की पेजरैंक अच्छी मानी जाती है। शीर्ष 40 हिन्दी ब्लॉग में यह मुझे 2,3 या 4 ही मिली। वेबसाइट की व्यावसायिक साथ इसकी मदद से भी तय की जा सकती है।
कमियां- यहां धैर्य की असली परीक्षा है। पेजरैंक का एक अंक बढ़ने में काफी वक्त लग जाता है।
अगर आप अपने ब्लॉग की अलेक्सा, टैक्नोरैटी या गूगल पेज रैंक चैक करना चाहते हैं तो संबंधित शब्द पर क्लिक करें।
अंत में कहना चाहूंगा कि इस तमाम विश्लेषण के आधार पर साफ है कि हिन्दी ब्लॉगर साथी अपनी चिट्ठाजगत रैंक को लेकर तो सचेत रहते हैं, लेकिन उन्हें अलेक्सा, टैक्नोरैटी या गूगल पेज रैंक से कोई लेना-देना नहीं। अगर आप भविष्य में पेशेवर ब्लॉगर बनने का सपना संजो रहे हैं तो मेरा अनुरोध है कि इन पर ध्यान दीजिए। आज की गई मेहनत कल फलीभूत होगी। इन रैंकों को वैसे तो परिश्रम और अच्छे लेखन से ही बढ़ाया जा सकता है, लेकिन फिर भी कुछ तकनीकी चीजें इन्हें बढ़ाने में आपका सहयोग कर सकती हैं। उनकी चर्चा आगे किसी पोस्ट में-
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Saturday, April 11
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ब्लॉग रैंकिंग का कौनसा सिस्टम क्या कहता है..
About Ashish Khandelwal
वर्ष 2003 से विज्ञान एवं तकनीकी विषयों पर लेखन। देश के प्रतिष्ठित समाचार पत्र—पत्रिकाओं में तीन हजार से अधिक आलेख प्रकाशित। 'राजस्थान पत्रिका' में पिछले नौ वर्ष से साप्ताहिक कॉलम 'टेक गुरु' का प्रकाशन। डिजिटल और सोशल मीडिया विशेषज्ञ। सम्पर्क करें: com.ashish@gmail.com
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श्रमपूर्वक किए गये शोध के साथ एक अच्छा लेख
ReplyDeleteअच्छा श्रमसाध्य काम है यह विश्लेषण। बधाई।
ReplyDeleteबहुत बढिया काम किया है आपने , मेहनत साफ़ झलकती है . इन तथ्यों को हिंदी में तुलना कर लिखने का धन्यवाद
ReplyDeleteये इतना तगडा आंकडे बाजी का काम है..ये हमको तो मालूम ही नही था. कुछ समझ मे आया तो है. और आपने मेहनत भी अच्छी की है.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत अच्छा रीसर्च पेपर प्रेसेंट किया है आपने पाठकों की जानकारी के लिए। कम से कम हम जैसे लोगों को पता तो चला कि हिन्दी के प्रमुख ब्लागर कौन है और कैसे लिख रहे है। धन्यवाद सरजी।
ReplyDeleteआपका यह आलेख बहुत दिलचस्प है।
ReplyDeleteदीपक भारतदीप
bahuthi mehnatk ihai aapne ar ahut detail achhi jankari di,shukran.
ReplyDeleteबहुत ही शोध परक लेख लिखा है आपने. इतनी बढिया जानकारियों के लिए धन्यवाद.
ReplyDeletebahut mehnat ka kaam kiye ho bhai ...3 ghante bahut hote hain ....kaabile taareef bhai
ReplyDeleteमज़ा आया । इसे कहते हैं असली शोधपरक पोस्ट । टेबलिया पोस्ट नहीं है ये ।
ReplyDeleteआशीष भाई बहुत रोचक जानकारी।
ReplyDeletesau baat ki ek baat
ReplyDeletejabardast.............
बहुत मेहनत करके यह आँकड़े हमारे सामने लाये हैं आप - धन्यवाद! अलेक्सा के बारे में बताना चाहूंगा कि वे अंतरजाल के ट्रैफिक को अपनी टूलबार के जरिये परखते हैं। जाहिर है जो उनकी टूलबार उपयोग नहीं करता, उसके आंकड़े अलेक्सा को नहीं मिल पायेंगे। गौरतलब बात यह है कि अलेक्सा की टूलबार अधिकांशत: चीन, ताइवान, कोरिया और जापान में उपयोग होती है, क्योंकि इन देशों में अलेक्सा का इंटरनेट-शापिंग साइटों के साथ गठजोड़ है। इसलिये मैं कभी अलेक्सा पर अधिक भरोसा नहीं करता। गूगल ही मेरा विश्वासपात्र है।
ReplyDeleteरैंकिंग के माध्यम से यह विश्लेषण बहुत ही उपयोगी हो गया है । धन्यवाद ।
ReplyDeleteआशीष, आपने काफी मेहनत की है इस पोस्ट को लिखने के लिये, खासकर चिट्ठाजगत के रैंकिंग के गणित को समझने के लिये। हमें तो एलेक्सा ज्यादा पसंद है क्योंकि यहाँ दिये गये चिट्ठों के हिसाब से हम पहले दस में आते हैं, गुगल पेज रैंक और टैक्नोरैटि में भी अच्छी जगह ही मिली। बस चिट्ठाजगत में गड़बड़ हो जाती है क्योंकि मुझे लगता है उनका गणित एक दूसरे ब्लोगस में दिये गये लिंकस पर ज्यादा टिका है।
ReplyDeleteएक बार फिर इत्ती ज्यादा मेहनत से लिखी पोस्ट के लिये आप बधाई के पात्र हो।
अपना टिप्पणी के बॉक्स का कोड एक बार चैक कर लो, सिमट के बहुत छोटा हो जाता है। कुछ तो समस्या है उसके साथ इंटरनेट एकस्प्लोरर ८ में ब्राउज करके बता रहा हूँ।
ReplyDeleteबहुत मेहनत कर आपने रोचक तथ्यों से हमें रूबरू कराया ...आभार।
ReplyDeleteहम तो केवल लिखते है,रेंक की चिन्ता नही करते । हिन्दी ब्लोग जगत मे जान पहचान बनी रहे यही अपने लिये बहुत है ।बहुत ही अच्छा लेख लिखा है आपने. इतनी बढ़िया जानकारी के लिए धन्यवाद.
ReplyDeleteकाफ़ी मेहनत से किया गया शोध है ।
ReplyDeleteजानकारी से भरी हुई पोस्ट।
ReplyDeleteआपके परिश्रम को नमन।
बहुत शोध किया है वाकई आप ने आशीष जी.जानकारी के लिए आभार.
ReplyDeleteआशीष भाई. आपकी मेहनत दिख रही है इस पोस्ट में.
ReplyDeleteअच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद.
नमस्कार ब्लॉग की रेटिंग से क्या फरक परता है जी हम लोग जानते ई की कोण कैसा लिकता और आप क्या है हमे तो ब्लॉग हिंदी टिप्स बहुत पसंद है और ये १ रंक है इसके लिए कोण टटोले अलास्का को
ReplyDeleteआप बहुत अच्चा काम कर रहे है
laxman suthar
www.maharanasaheb.tk
गूगल ने 2 नं. मेरे 'धरोहर' को भी दिए. मगर सरदर्द लग रहा है यह ताम-झाम.
ReplyDeleteयह कहते हुए माफ़ी चाहूँगा कि चिट्ठाजगत या ब्लॉगवाणी कोई मानक नहीं है जिनकी बातों को इतना महत्व दिया जाये। अलेक्सा, गूगल रैंक, और टेक्नोरती की बात अलग है क्योंकि यह बहुत पहले से ही किसी न किसी बड़े प्रोजेक्ट से जुड़े रह चुके हैं जिनका मान्यता अत्यधिक रही है।
ReplyDeleteलेख अच्छा लगा आपकी जानकारी प्रेरणा दायक होती है.
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ReplyDeleteYou r doing great service , as new blogger i am getting great help from your tips
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