बहुत से साथी अक्सर सवाल पूछते हैं कि हिन्दी ब्लॉग उन्हें क्या दे सकता है। आत्म-संतुष्टि, समय का बेहतर उपयोग वगैरह.. वगैरह। पर वे इस जवाब से संतुष्ट नहीं होते और तर्क देते हैं कि जब यह पैसा नहीं दे सकता, तो क्यों इसके पीछे दिमाग खपाया जाए। मेरे भोले और बुद्धू साथियो.. क्या पैसा ही सबकुछ है? भई.. पैसे से बड़ा भी तो कुछ होता है.. लाख रुपया खर्च कर भी आपको ये सब चीजें नहीं मिल सकतीं.. आप खुद जानिए ब्लॉग लिखने की दस खास वजहें-
1. फोकट के श्रोता
क्या मजाल है कि आप शौहर, बीवी, प्रेमी, प्रेमिका या दोस्तों के सामने अपने ज्ञान का ढिंढोरा इस तरह पीटें। कोई नहीं सुनेगा जी आपकी। पर ये ब्लॉग संसार है ना.. यहां फोकट के श्रोता हैं.. सुनेंगे ही। या यूं कहें कि सुननी तो पड़ेगी ही। नहीं सुनेंगे तो उनको कौन सुनेगा..
2. फोकट का मनोरंजन
यहां सृजन है तो विध्वंस भी है। बुद्धिमानी है तो बेवकूफी भी है। लेखक हैं तो पाठक भी हैं। और वही पाठक लेखक भी है। यह एक चेन (शृंखला) है, आप अपने जैसे लोगों को आसानी से ढूंढ़ सकते हैं। आप उनके गाल बजाइए.. वो आपके गाल बजाएंगे.. यानी फोकट में विशुद्ध मनोरंजन.. क्या मिल सकता है आपको कहीं और ऐसा..
3. फुल-टू टाइम पास
की-बोर्ड पर आपको ठक-ठक करते देख आपके साथी सोचते हैं कि आपके बराबर कोई कर्मठ नहीं है। लेकिन उन बेचारों को क्या पता कि टाइम पास करना तो आपकी मजबूरी है। आपका बहुत अच्छा टाइम पास होता है और लोगों (खासतौर पर बीवी) की नजर में आप कर्मशील बने रहते हैं।
4. खुद को पॉपुलर करने का तरीका (सेलिब्रिटी स्टेटस)
अजी अपना एक ब्लॉग है। अमिताभ जी, आमिर जी, लालू जी सभी लिख रहे हैं। तो अपुन भी लिख रहे हैं। उस पर आपका नाम और फोटो दूसरे ब्लॉग की टिप्पणियों में भी आसानी से दिखते हैं। जो ब्लॉग के बारे में ज्यादा नहीं जानते.. उनके सामने शेखी बघारी जा सकती है कि अपुन तो सेलिब्रिटी हैं जी..
5. लिक्खाड़ों की जमात (गैंग) का सदस्य बनने का मौका
आजकल खूब सामूहिक ब्लॉग लिखे जा रहे हैं। दो मिनट में उनके साथ आसानी से जुड़ जाइए। कुछ ब्लॉग्स पर तो किसी तरह की पड़ताल नहीं होती कि कौन जुड़ रहा है। उसके बाद अपने दोस्तों को दिखाइए कि यह अपुन का ब्लॉग है। देखो इस पर अपुन के अलावा फलां जी और फलां जी भी लिखते हैं। भले ही उस ब्लॉग पर आपने एक भी पोस्ट नहीं लिखी हो..
6. गूगल सर्च इंजन में खुद का नाम, फोटो, ब्लॉग देखने का सुख
थोड़ी मेहनत करने पर आप ब्लॉग के जरिए अपना चिकना-चुपड़ा सा फोटो मय नाम के गूगल सर्च इंजन में देख सकते हैं। फिर हैकड़ी दिखाइए- देख मेरा नाम गूगल पर टाइप कर.. अपुन का फोटो आएगा.. आया ना.. अपुन तो हैं ही ऐसे..
7. रद्दी से रद्दी रचनाओं पर वाहवाही लूटने का साधन
एक कविता का नमूना देखिए-- मन एक नदी.. बहता जा रहा है.. बहता जा रहा है.. समंदर की खोज में..राह के पत्थरों को तराशते.. अपनी मंजिल तलाशते। ये मैंने बस 5 सैकंड में लिखी। आप भी ऐसा ही कुछ वाहियात लिखकर पोस्ट कर दीजिए। मेरी गारंटी है कि आपको 10-15 टिप्पणियां तो मिल ही जाएंगी कि वाह.. क्या लिखा है.. सुंदर कविता.. .. जयशंकर प्रसाद जी को भी इतनी तारीफ कभी नहीं मिली होगी..
8. हर शहर में एक न एक परिचित होने का अहसास/भ्रम
दस महीने के छोटे से ब्लॉगिंग करियर के बाद कह सकता हूं कि हिंदुस्तान के हर शहर में मेरा कोई न कोई ब्लॉगर बंधु जानकार है। कभी वहां जाना हुआ तो धमक पड़ेंगे उनके घर। जेब के पैसे बचेंगे (चाय-नाश्ते और होटल के)। अब आप ही बताइए कि यह कमाई नहीं तो और क्या है..
9. फिजूल की जिम्मेदारी
कुछ ब्लॉगर साथी तो बरसों से ब्लॉग लिखते-लिखते यह भ्रम पाल बैठे हैं कि अगर उन्होंने पोस्ट नहीं की तो उनके पाठकों पर क्या बीतेगी। उनकी सुध-बुध कौन लेगा। पाठक तो उनके बच्चे हैं। तो यह उनकी जिम्मेदारी है कि वे पोस्ट करते जाएं, करते जाएं और फिजूल की जिम्मेदारी का निष्ठा के साथ पालन करें.. उनको क्या पता कि उनके बच्चे तो उनको झेल रहे हैं..
10. बेहतर भविष्य
मेरे जैसे ब्लॉगर इसमें अपना बेहतर भविष्य देखते हैं.. सोचते हैं कि क्या पता भविष्य में ऊंट किस करवट बैठे.. शायद हिन्दी ब्लॉग्स पर एडसेंस मेहरबान हो जाए और कमाई होने लगे.. या पता नहीं कोई सुंदर सी कन्या इस ब्लॉग को पढ़ बैठे और वेलेंटाइन डे पर मुझे प्रपोज कर दे.. (बहुत-बहुत सुंदर हो तो ही करना..)
वजह अपनी-अपनी है.. आप मुझे टिप्पणी कर बता सकते हैं कि आपकी वाली वजह कौनसी है। अगर इनसे अलग हो तो और भी अच्छा..
क्या आपको यह लेख पसंद आया? अगर हां, तो ...इस ब्लॉग के प्रशंसक बनिए ना !!
हिन्दी ब्लॉग टिप्स की हर नई जानकारी अपने मेल-बॉक्स में मुफ्त मंगाइए!!!!!!!!!!
bahut khuub!
ReplyDeleteAisa bhi hota hai!!!!
श्रीमान आपकी सोच मेरे विचारो के अनुकुल है। आपने बहुत ही सही विवेचना कि है हमारे श्री श्री श्री १०८ ब्लोगानन्दजी महाराज कि।
ReplyDeleteकृपया मोका मिले तो इसी विषय को लेकर कुछ क्षण पुर्व ही मैने मेरे ब्लोग पर एक पोस्ट प्रसारित कि है समय निकाल दर्शन जरुर दे।
आपकी software मे तो कार्य-कुशलता तो देखी थी। पर आज के लेख से लगता है hardware पर अच्छा खासा लिख डाला है।
सही लिखा भविष्य बहुत उज्जवल है !
ReplyDeleteदोचार और भी फायदे सुझाये देते हैं:
ReplyDelete1. नई शब्दावली का अविष्कार प्रयोग
2. अनावश्यक पंगे ले लेना
3. जबर्दस्ती के जगडे खडे करना
4. अहं की तुष्टी
आदि आदि
सस्नेह -- शास्त्री
बहुत खूब आशीष जी. मनोरंजक है. पर मेरे ब्लॉग लिखने का एक ही मकसद है. " सिर्फ़ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नही, मेरी कोशिश है की ये सूरत बदलनी चहिये"
ReplyDeleteकुछ लाभ यह भी हैं-
ReplyDelete१.एंकाकी जीवन जी रहे लोगों को बहुत राहत मिलती है।
२.अखबार का खर्चा बचता है।
नमस्कार आशीष जी!
ReplyDeleteबहुत हँसी आई आपकी बातें सुनकर!
सच कहूँ मेरा ब्लॉग लिखने का उद्येश्य यह नहीं था कि कोई लड़की मुझे प्रपोज करे!
मेरा उद्येश्य सिर्फ़ यही था कि मुझे यहाँ अच्छे अच्छे दोस्त मिले जिनसे हम ना कभी मिले हो न ही एक दुसरे को देखा हो पर वे लोग मेरे दिल के बहुत करीब हों! जिनसे मै हर बात बाँट सकूँ, उन्हें मैं दिल की बातें बोल सकूँ जो मेरे आस पास के दोस्तों को नहीं बोल सकता हूँ और मेरी यह ख्वाहिश पूरी भी हुई हैं क्योंकि मुझे मुसाफिर जाट जी, ताऊ रामपुरिया जी, सुशील कुमार छोक्कर जी और साथ में आप और समीर लाल जी भी शामिल हैं, यह बात अलग हैं कि आप मुझे कुछ खास महत्व दो या नहीं, लेकिन अपनी कर्मशीलता ऐसे ही चलती रहेगी!
दिलीप गौड़
गांधीधाम
bahut sunder vichar. saduvad.
ReplyDeleteबहुत सही लिखा आपने , पढ़कर अच्छा लगा |
ReplyDelete:-)
ReplyDeleteachha likha haen
ReplyDeleteलाइन से हट कर भी तो लिख सकते है । जैसे आज आपने लिखा है
ReplyDelete।
आशिष जी से ब्लोगिगं की टिप्स.. है न?
ReplyDeleteसबसे खास वजह खुद का नाम, फोटो ब्लाग देखने का सुख
ReplyDeleteन-10 की 'बेहतर भविष्य' वाली टिप्पणी कह कर आपने मन की बात ले ली/ कह दी… बधाई…!
ReplyDeleteजा की रही भावना जैसी।
ReplyDeleteब्लागिन मूरत देखिन तिन्ह तैसी।।
वाह.. क्या लिखा है.. सुंदर कविता..
ReplyDeleteसच में, क्या कविता लिखी है ५ सेकेण्ड में..
अगली बार १५ सेकेण्ड वाली मेहनत करो भाई.. :P
तन्ने तो ताऊ के ठहाकों को ट्रेन का सीटी से साइकिल की घंटी बना दिया, वाह! वह कविता वाली बात करके मेरा मज़ाक तो नहीं बना रहे। अरे यार वेलेंटाइन से पहले मन्ने भी इक कुड़ी प्रोपोज़ करे, मेरे सपनों को ऐसा मत ऐंढों!
ReplyDelete---
---
चाँद, बादल और शाम
हिंदी ब्लागिंग हमको इसी तरह की शानदार पोस्ट देती है। मजेदार च जानदार। वैसे आपको बता दें कि ब्लागिंग के कुछ मूलभूत सिद्धांत हैं। उनके अनुसार अगर आप इस भ्रम का शिकार हैं कि दुनिया का खाना आपका ब्लाग पढ़े बिना हजम नहीं होगा तो आप अगली सांस लेने के पहले ब्लाग लिखना बंद कर दें। दिमाग खराब होने से बचाने का इसके अलावा कोई उपाय नहीं है।
ReplyDeleteब्लागिंग को छा ओ नसा,भये सब लबरा मौन
ReplyDeleteबीवी से पूछत फिरें -"हम आपके कौन......? "
मन एक नदी..
ReplyDeleteबहता जा रहा है..
बहता जा रहा है..
समंदर की खोज में..
राह के पत्थरों को तराशते..
अपनी मंजिल तलाशते।
bahutt khub :-)
सही कहा इतनी सारी वजह के बाद भी दिल तो
यही कहता है की जिम्मेदारी का बोझ उठाते
रहिये क्या पता कब किसी को आप की कही
बात अपनी सी लग जाए और झूठा ही सही
वो आपके खुशी और गम में सरीख जो जाए ...
सारी वजह बिल्कुल सही और नपी तुली है |
उम्मीद करता हूँ ये नई पद्धति और नई सोच प्रभाव शाली साबित हो
इसी बहाने एक नया दोस्त मिले जो अपनी सुनाने के लिए हमारी सुनाने को तैयार हो
असली ब्लोगिंग टिप्स - छिपे हुए न जाने कितने कला-कौशल अभी भी व्यक्त होने को बचे हैं. प्यारी-सी चुटीली अभिव्यक्ति. धन्यवाद
ReplyDeleteबढ़िया और मनोरंजक प्रस्तुति !!!
ReplyDeleteअपने शहर में मुफ्त खाने और नाश्ते की गारंटी ली भाई मैंने !!!!
10 वें नम्बर की आस तो इस Valentaine Day पर मुझे भी है. वैसे कविता भी अच्छी थी.
ReplyDelete" हा हा हा इतने सारे फायदे वो भी एक साथ ...मजा आ गया पढ़ कर...."
ReplyDeleteRegards
इत्ती सारी वजहें, क्या कहने
ReplyDeleteसब कुछ फ्री में........क्या कहने .
ReplyDeleteहाहाहा... ये सही है..
ReplyDeleteहिन्दी ब्लोग्स टिप्स .!
ReplyDeleteबगल में व्यंग्य क्यों लिखा भाई.....किसी की समझदारी पे शक था ?
वाह आप तो कविता, व्यंग के भी बढ़िया टिप्स दे देते हैं :) मजेदार लिखा है ...अब जो भी कहो ब्लॉग लिखने का नशा बहुत जबरदस्त है ..
ReplyDeleteव्यंग्य लिखने के टिप्स भी तो दीजिए
ReplyDeleteएक अच्छा व्यंग्य लिखने के लिए
क्या किया जाना चाहिए
और यह भी बतलाइये कि
कौन सा व्यंग्य अच्छा होता है
और वो जिसके बारे में लिखा जाता है
उसको अच्छा क्यों नहीं लगता है।
क्या बात है आपने तो बहुत लोगो का मन हल्का कर दिया !!
ReplyDeleteमन एक नदी..
ReplyDeleteबहता जा रहा है..
बहता जा रहा है..
समंदर की खोज में..
राह के पत्थरों को तराशते..
अपनी मंजिल तलाशते।
aAP ITNI ACHCHI KAVITA 5 SECOND ME LKIKH SAKTE HAIN ?waH waH AAP TO BAHUT ACHCHE KAVI HAIN,SACHCHI
ACHCHI POST
क्या खूब लिखा है भाई अरे थोडा तो बख्श दिए होते ! ही ही ही ! देखते देखते कितना बेशर्म कर दिया आपने !
ReplyDeleteबहुत सही लिखा भ्तीजे आपने. अपना तो यहां स्वांत: सुखाय वाला कार्य्क्रम है और फ़ुरसतिया जी के १३ सुत्र हमने गांठ बांध रखे हैं.:)
ReplyDeleteएक सुत्र उन्हो्ने यहां टिपणी मे भी दे दिया है.
और आपको तकनीकी टिप्स देने के साथ ही साथ व्यंग के टिप्स देने के लिये भी बधाई.
बहुत शानदार और लाजवाब व्यंग. शुभकामनाएं.
रामराम.
"सुंदर सी कन्या इस ब्लॉग को पढ़ बैठे और वेलेंटाइन डे पर मुझे प्रपोज कर दे" अगर इधर प्रोपोज करने में शर्माए तो हमारे ब्लॉग पर आ जाए... :-)
ReplyDeleteयहां तारीफ की आम सहमित है....अच्छा लिखा है!
ReplyDeleteसही हैं... सभी बातें जायज़ और सही हैं!
ReplyDeleteइसके अलावा एक और बात जो सबसे अहम् सुझाई पड़ती है वो यह की लिखने वाले के लिए जो सबसे आतंकित कर देने वाली वास्तु है, वह है संपादक की टोकरी ! अब कोई अच्छी से अच्छी रचना कब किसी संपादक महोदय के मूड का शिकार बन , कब उसकी "अस्वीकृत " कचरा टोकरी का शिकार हो जाए , कोई नही जानता ! ब्लोगिंग करते हुए जब एक लाल सा बटन दीखता है ना कि 'प्रकाशित करें ' तो उसे दबाते हुए मिलने वाला सुख अद्वितीय है! संपादक की मोहताजी से हमेशा के लिए छुट्टी ...यह है ब्लोगिंग करने का असली सुख !
ख़ुद लिखिए, ख़ुद जाँचिये, परखिये , और अपनी अंतरात्मा की सही आवाज़ सुनकर ख़ुद ही प्रकाशित कर दीजिये !
परोस दीजिये उन सभी पाठकों के समक्ष जो आपकी रचना पड़कर , बदले में सिर्फ़ आपसे उनकी रचना पड़ने का मुआवजा ही मांगेगे....और कुछ नही !
पैसा क्या चीज़ है यार इस सुख के आगे ?
बहुत सही तरीके बताये हैं .....मजा आ गया पढने में
ReplyDeleteक्या मित्र?...पहले हल्के-हल्के कर के सिंगल रन लो...बाद में दुक्के-दुके कर के रन बटॉरो।
ReplyDeleteये क्या कि ना तिक्का...ना चौक्का....पहली बाल पे छक्का मार उसे बाउंड्री से बाहर का रास्ता दिखा दिया?...
बहुत ही बढिया....जमे रहो....
मज़ा आ गया जी फुल्ल...फुल्ल
सबसे पहले ....
ReplyDeleteआपने इस ब्लॉग के माध्यम से जो हिन्दी ब्लोग्गेर्स कि जो मदद कि है वह अत्यन्त काबिले तारीफ़ है ...
जो आपने कहा वो हमने भी सोचा था और हर हिन्दी वालों की इस कामन पीड़ा को अपने एक पोस्ट में कहा भी था कि भइया क्या हिन्दी वाले फोकट में ही ...., बहरहाल यह सब सोचने के पहले और बाद में हमने सम्मिलित रूप से गलिबाना अंदाज में कि "दिल के बहलाने को गालिब ये ख्याल अच्छा है" यह सोचा और सोचकर संतोष किया कि कम से हिन्दी में गरियाने, दहाड़ने और ज्ञान बघारने का मौका मिल रहा है, यही क्या कम है |
"हिन्दी ब्लॉग्गिंग का मतलब है कि ये दुनियावालों यहाँ नेट पर हम भी हूँ सिर्फ़ तुम ही नहीं हो, जाने कि नहीं "
भले ही कुछ लोग (खासकर हमारे चहेते फ़िल्म स्टार ) हिन्दी में रोजी रोटी कमा कर हिन्दी में बोलना और लिखना नागवार समझते हैं,
लेकिन आप और हमलोग हैं ना तो फ़िर काहे कि चिंता, साथ ही आपने दस फायदे तो गिना ही दिए हैं .....
मैं आप से सहमत नहीं हु कि बलाग रद्दी से रद्दी रचनाओं पर वाहवाही लूटने का साधन है
ReplyDeleteआप को अपने ही रचना को रदी कहना नहीं चाहिए
कयोकि सवामी विवेकानद के अनुसार , तुमे खुद नही पता तुम कया हो जिस समय तुमे यह पता लग जाए कि तुम कया हो तथा कया कर सकते हो तो तुम बरम बन जाऔ गे
मुझे पता है आप कया है
Diamond
do u know any user friendly Indian Language typing tool esply in Hindi... which can provide rich text editor also...?
ReplyDeleterecently was searching for the same and found 'quillpad'..wht is ur opinion abt it.
क्या अंग्रेजी ब्लोग्स पर भी यही लागू होता है?
ReplyDeletemain blog ki duniya mein naya hun.. suruat mein hi sachchaaai se roobru ho liya !!
ReplyDelete