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About Ashish Khandelwal
वर्ष 2003 से विज्ञान एवं तकनीकी विषयों पर लेखन। देश के प्रतिष्ठित समाचार पत्र—पत्रिकाओं में तीन हजार से अधिक आलेख प्रकाशित। 'राजस्थान पत्रिका' में पिछले नौ वर्ष से साप्ताहिक कॉलम 'टेक गुरु' का प्रकाशन। डिजिटल और सोशल मीडिया विशेषज्ञ। सम्पर्क करें: com.ashish@gmail.com
aashish ji
ReplyDeletekyun logon ko dara rahe hain.
badon aur bachchon mein kuch to fark hota hi hai soch ka.........bas usi ko use kar lenge.adiction tak baat nhi pahunchne denge.
चाहे लाख डराओ भइया,
ReplyDeleteहम भयभीत नही होंगे।
बिना नेट के दुनियादारी,
कविता-गीत नही होंगे।।
इस खास बीमारी के सारे लक्षण हम चिट्ठाकारों में भी है।
आभार!!
भाई अच्छा है कि इस तरह शाक लगवाले वर्ना लोग यहां तो जबरन शाक देने को तैयार बैठे हैं. हिंदी ब्लागिंग् मे शाक की जरुरत शायद ना पडे..खुद आपसी शाक खा खाकर ही ब्लागिंग बंद हो जायेगी.:)
ReplyDeleteरामराम.
ati sarvatra varjayet.....
ReplyDeletekaha bhi gaya hai ki
ati ka bhala na bolana ,
ati ki bhali na choop,
ati ka bhala na barasana,
ati ki bhali na dhoop...
hamare jo blogar sathi 'ATTi' kar dete hai unke liye sachmuch yeh 1 vicharniya prashna hai...
Himanshu Pandey
सही कहा आपने, मुझे तो करंट से बड़ा डर लगता है:(
ReplyDeleteअच्छा जी। हमें भी करंट से डर लगता है।
ReplyDelete'अति 'हर चीज़ की बुरी होती है!
ReplyDeleteलेकिन भारत में ऐसी नौबत आएगी नहीं क्योंकि अमूमन बिजली की लुका छुपी ,ब्रॉड बैंड की खराब सेवा ,बच्चों पर parents का जबरदस्त कण्ट्रोल का
'नेट addiction ' से बचाए रखता है.
हम नही सुधरेंगे.
ReplyDelete-असरानी
हम नही सुधरेंगे.:)
ReplyDelete-असरानी
शौक लगाकर शॉक देने का आपका शौक अच्छा है ....पर हमे इस शॉक का कोई शौक नही
ReplyDelete:) यहाँ पर सुधार की गुंजाईश जरा कम है ..डरने वाले नहीं है हिंदी ब्लॉगर ..:) बिजली जाए या कोई और वजह ..वह वजह ही पोस्ट लिखने का कारण बन जाती है सो कोई डरने की बात नहीं है :)
ReplyDeleteदेखिए जी , किसी और को डराना आप . हम एडिक्शन से पीड़ित बिल्कुल नहीं . हमने जब चाहा ब्लॉगिंग को छोड़ा और फ़िर जब चाहा शुरू कर दिया !
ReplyDeleteब्लोग बंद कर देते है जी..:)
ReplyDeleteaashish ji wo shock to pataa nahi kab lagegaa aap to dara kar abhi shock de rahen hain!!!
ReplyDeleteअब आपने कहा है तो गम्भीरता से सोचने वाली बात है मगर ये तो मानने वालि बात है कि ये addiction है और इसकेside effects तो होंगे ही आभार्
ReplyDeleteआशीष ऐसी भर्ती की पोस्ट मत किया करो:)
ReplyDeletevery nice post. we are very bhaybhit.
ReplyDeleteajay kumar soni
मै अल्पना जी के विचारो से सहमत हूँ . आभार अच्छी जानकारी के लिए.
ReplyDeleteअरे बाप रे ...डर गए हम तो :)
ReplyDeleteदेखिए जी , किसी और को डराना आप . हम एडिक्शन से पीड़ित बिल्कुल नहीं जब मर्जी हो पोस्ट लिखते है जब मर्जी हो नहीं लिखते | गांव जाते है तब नेट से दूर ही रहते है कभी इसकी जरुरत महसूस नहीं होती |
ReplyDeleteटेंशन की कोई बात नहीं जी, ये तो सब बच्चों के लिए है :-)
ReplyDeleteहिन्दी ब्लागर बडी मोटी चमडी के जीव हैं,इन झटकों से उनका कुछ नहीं होने वाला:)
ReplyDeleteअजी दिन रात तो तब बैठेंगे जब ससुरी बिजली आवेगी...और ससुरा बार्डबैडं का बाजा ठीक से बजेगा...
ReplyDeleteअब सुबह से अब बैठे है हम ....बिजली नही थी ससुरी
nice
ReplyDeleteसुन्दर । पर हमें क्या ?
ReplyDeleteआशीष भाई, डरा क्यूँ रहे हैं ?
ReplyDeleteइ का भइया , काहें डरा रहे हैं.
ReplyDeleteइनका तो हल्के करेंट में काम चल गया. हमारी तबीयत तो ऐसी नासाज है कि २२० वोल्ट का झटका ही लगाना पड़ेगा. :)
ReplyDeleteबड़ों के लिए तो और भी तगडे झटकों की जरुरत पड़ेगी! :-)
ReplyDeleteब्लॉगिंग के लिये भी अल्कोहलिक अनानिमस जैसी संस्था का भविष्य है!
ReplyDeleteसाक थैरेपी नही अलकोहल थैरेपी सही है :)
ReplyDeleteक्या यही खोज रहे थे क्या ? की नेट चलाने के लीये सजा कैसे पाएं
यूं तो ब्लोग्गेर्स भी एक दुसरे को कम झटके नहीं दे रहे हैं !! जो डर गया समझो ...रिक्त स्थान के पूर्ति आप स्वयं करें !!
ReplyDeleteब्लोगर को बिना बताये.. ब्लॉग छुडावे..
ReplyDeleteबाबा क्लिनिक, मुजफ्फर नगर
डरा ही दिया आपकी इस पोस्ट ने तो ..
ReplyDeleteregards
बडी मुश्किल से दोबारा लिखना शुरू किया है लगता है वो भी बंद करवाओगे।त
ReplyDeleteआशीष जी आप तो बस ब्लॉग को बेहतर बनाने की तरकीब बताओ. आपने तो हमें बहुत बुरी तरह डरा दिया. अपने अलावा हम तो न जाने कितने ब्लॉग से जुड़े हैं. (अरे अपने ही कौन से कम हैं?)
ReplyDeleteअबकी ऐसे न डराना.
darr ke aage jeet hai ashish bhai...
ReplyDeletemeet
हम तो इस सब के डर से पहले ही ब्लोगिंग छोड भाग लिये भईया . अब इत्ता डराओगे तो टिपियाने भी ना आयेगे जी :)
ReplyDeleteयह भी भली कही आपने......
ReplyDeleteदिलचस्प खबर देने के लिए आभार.
वहां लाइट रहती होगी आशीष जी, इस्लिये करंट लगा रहे है, यहां तो लाइट ही नहीं रहती....हा..हा..हम बच गये न? अब आराम से लन्च करें डरने की कोई बात नहीं हम सब हैं न...
ReplyDeleteबड़ी मुशिकल से कुछ लिखना शुरू किया है, शुरुआत में ही डराने लग गए। तो हम नहीं डरते...गब्बर सिंह...जो डर गया सो मर गया। हा हा हा हा...।
ReplyDeleteहंसी के अलावा, आज कल जब भी कोई पोस्ट खोलता हूं अपने ब्लाग की, पूरा ब्लाग नहीं(http://nitishraj30.blogspot.com) कोई सिंगल पोस्ट मसलन http://nitishraj30.blogspot.com/2009/07/blog-post_16.html तो वो खुलती नहीं है और लिखा आजाता है एक क्रास निशान के साथ कि ---
Internet Explorer cannnot open the internet site http://nitishraj30.blogspot.com/2009/07/blog-post_16.html, operation aborted.
फिर उसके बाद उसे हटाओ तो लिखा आता है कि द पेज कैननॉट बी डिस्पलेयड। ये क्या प्रोब्लम है काफी दिन से ये प्राब्लम आरही है मुझे लगता है कि जब मुझे ही दिक्कत होती होगी तो दूसरे क्या पढ़ पाते होंगे। हो सके तो मदद कीजिएगा। धन्यवाद।
नितिश जी, यह समस्या इंटरनेट एक्सप्लोरर में कई दिन से आ रही है। फायरफॉक्स व गूगल क्रॉम में नहीं है। मेरे यहां भी कुछ ब्लॉग्स पर आती है। मैं समस्या आते ही बैक के बटन पर क्लिक करता हूं तो वह ब्लॉग खुल जाता है। पता नहीं शायद यह तरकीब आपके लिए भी काम करे..परमानेंट इंतजाम ब्राउजर बदलने से हो सकता है.. आभार
ReplyDeleteनीतिश जी, ब्लॉग पर लगा ताला खोल दीजिए। Internet Explorer खुश हो जायेगा। अभी ताला उसे ही डरा देता है :-)
ReplyDeleteकितने लोगो को डरा दिया, सबसे ज्यादा खतरा तो ताऊ और समीर जी को है बाकी लोगो का बाद मे नम्बर आयेगा । मै ठहरा बाल बच्चो वाला आदमी जो पूरे दिन घर पे रहता हू, मुझे इसकी आदत कैसे लग सकती है । ज्यादा डरना आपको पडेगा क्यू कि आप का ओन लाईन स्टेटस हमेशा आपकी उपस्थिति बताता रहता है ।
ReplyDeleteहम बस गुलज़ार साहब के शब्द दोहरा देते है.....
ReplyDeleteख्याल फेंका है रफ़्तार -ए-बेपनाह के साथ
खुदा को पहुंचे या उससे परे निकल जाए
की उसके बाद जो पहुंचा तो मुझ तक आएगा
देखिए हम चीन से कितने आगे हैं। वहां ब्लोगरो को शाक दिया जाता है, हम यहां मर्ज की जड़ यानी कंप्यूटर को ही शाक देते हैं। सुना है दिल्ली, हमारी राजधानी, में हर रोज कंप्यूटर को चार-चार घंटे तक शाक दिया जाता है (यानी पावर काट दिया जाता है), ताकि ब्लोगर स्वास्थ्य-लाभ कर सकें।
ReplyDeleteआखिर यह आयुर्वेद की जन्म भूमि है।
इसलिए बेखौफ ब्लोगिक कीजिए, आपको कुछ नहीं होगा।
मैं तो नहीं डरा.
ReplyDeleteभई हमें तो शौक से बडा डर लगता है लेकिन हम डरने वाले नहीं है.... नई जानकारी के लिए धन्यवाद।
ReplyDeletebahut badiya
ReplyDeleteye bhi kya khub kahi apne...
ReplyDeleteशाक से याद आया की चातुर्मास के इस पहले महीने में 'शाक' खाना मना है, तो हमे शाक से डरने की कोई ज़रुरत नहीं| ..........................................................'शाक' यानि की हरे पत्ते वाली सब्जियां
ReplyDeleteओह ! मैं तो डर गया
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