यह पोस्ट खास तौर पर उन बहादुर और क्रांतिकारी साथियों के लिए लिखी गई है, जो आत्म तुष्टि के लिए खुद के और दूसरों के चिट्ठों पर अनाम टिप्पणियां छोड़ रहे हैं, ठहरे हुए पानी में कंकड़ उछाल रहे हैं और शांत समझे जाने वाले हिन्दी ब्लॉग जगत में नया बवाल लाने की सफल कोशिश कर रहे हैं। मैं ऐसे साथियों के जज़्बे को सलाम करता हूं कि वे अपना अमूल्य समय और योगदान देकर ब्लॉगीवुड में खलनायक का किरदार निभा रहे हैं और मेरे जैसे तुच्छ चिट्ठाकारों को पोस्ट लिखने की एक महत्वपूर्ण वजह दे रहे हैं।
आज रचना जी की यह पोस्ट पढ़ी। वहां बिना मोडरेशन लगाए अनाम टिप्पणियों को ब्लॉग पर सरेआम दिखने की छूट देने वाले साथियों को बताया गया है कि वे किस तरह आसानी से अनचाहे टिप्पणीकार का आईपी पता नोट कर उसे बंद करा सकते हैं। रचना जी की जानकारी ज्ञानवर्द्धक है, लेकिन मुझे यह कुछ अधूरी सी महसूस हुई। इसी वजह से इसे आगे बढ़ाने की इजाज़त मैं रचना जी से चाह रहा हूं।
आगे बढ़ें, उससे पहले मैं अनाम रहकर टिप्पणी करने वाले साथियों को आश्वस्त करना चाहूंगा कि उन्हें घबराने की कोई जरूरत नहीं। पहली बात तो यह कि, उनका आईपी एड्रेस पता कर पाना थोड़ा मुश्किल है। दूसरी बात यह कि आईपी एड्रेस पता भी चल गया तो भी उससे हुई abuse की घटना साबित करने में कई पापड़ बेलने पड़ेंगे। आईपी एड्रेस बंद करा पाना तो एक उठाईगिरी की घटना पर फांसी की सज़ा दिए जाने जैसा है। ऐसा कभी नहीं होगा, इसलिए आप आराम से अपना काम करिए और ब्लॉगीवुड को कृतज्ञ करते रहिए।
अगर आपके निशाने वाले ब्लॉगर ने स्टेटकाउंटर या एक्टिवमीटर जैसा कोई कोड अपने ब्लॉग पर लगा रखा है, जिससे हर विजिटर का आईपी एड्रेस पता चल जाता है, तो भी आप मत घबराइए। वजह यह है कि ऐसा करने पर अगर उसके ब्लॉग पर थोड़ा भी ट्रेफिक रहता है तो क्या पता उस समय अंतराल में कौन आया कौन गया। अब शक की सुई घूमेगी उस समय अंतराल के हर विजिटर पर। तो बच गए न आप।
अगर ट्रेफिक कम हुआ तो भी आपका पता चल पाना मुश्किल है। वह ऐसे- कि वहां आईपी एड्रेस के साथ वह समय आता है, जब आपने पेज खोला। कमेंट करने का समय नहीं आता। अब आप इतने ज्ञानी तो हैं नहीं कि पोस्ट खोलते ही कमेंट कर देंगे। पांच-दस मिनट भी लग गई तो उस दौरान तो कोई न कोई शरीफ आदमी वहां जरूर आएगा। तो शक की सुई घूमेगी उधर।
चलिए अब मान लेते हैं कि किसी भी तरह आपका आईपी एड्रेस आपके शिकार ब्लॉगर के हाथ लग गया। अब क्या? whois डायरेक्ट्री से उसने आपके शहर और सेवा प्रदाता का पता भी लगा लिया। आपकी किस्मत बुरी है और डायनेमिक की बजाय आपका आईपी भी स्टेटिक है और आपकी शिकायत हो भी गई तो उस शिकायत के साथ संबंधित ब्लॉगर से सबूत मांगा जाएगा। अब सबूत तो है ही नहीं... स्टेट काउंटर जैसी रिपोर्ट को साक्ष्य का दर्जा ही नहीं है। साक्ष्य माना जाता है केवल ई-मेल का मुखड़ा, जिसमें किसी भी तरह की हेर-फेर नहीं हो सकती। यकीन नहीं होता तो यहां क्लिक कर कुछ सवाल-जवाब पढ़ लीजिए। हो गया न डाउट दूर।
तो अनाम साथियों आप आराम से अपने काम में लगे रहिए। आखिर कुछ साथियों ने अनाम का विकल्प खुला रख छोड़ा है, टिप्पणियों को मॉडरेट नहीं करते तो आप उनकी इस सेवा का जमकर फायदा उठाइए।
मेरे काबिल दोस्तो, मुझे पूरा भरोसा है एक न एक दिन आपकी आत्मा जरूर जागेगी और उस दिन आपको अहसास होगा कि आपने क्या किया। हो सकता है आप तब तक कितने ही साथियों पर इस समय और पैसे की बर्बादी वाली ब्लॉगिंग से दूर करने का अहसान कर चुके हों, कुछ लोगों के बीच अकारण वैमनस्य बढ़ा चुके हों या कितने ही लोगों के बीच गलतफहमियां पैदा कर चुके हों। ईश्वर आपको सदबुद्धि दे।
क्या आपको यह लेख पसंद आया? अगर हां, तो ...इस ब्लॉग के प्रशंसक बनिए ना !!
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Friday, June 26
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बेनामी टिप्पणीकारों, तुम्हारा कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता
About Ashish Khandelwal
वर्ष 2003 से विज्ञान एवं तकनीकी विषयों पर लेखन। देश के प्रतिष्ठित समाचार पत्र—पत्रिकाओं में तीन हजार से अधिक आलेख प्रकाशित। 'राजस्थान पत्रिका' में पिछले नौ वर्ष से साप्ताहिक कॉलम 'टेक गुरु' का प्रकाशन। डिजिटल और सोशल मीडिया विशेषज्ञ। सम्पर्क करें: com.ashish@gmail.com
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किनसे आत्मा के जाग जाने की उम्मीद कर रहे हैं? आत्मा सोई हो तो जागे, वो तो मर चुकी है इनमें.
ReplyDeleteवैसे आपकी पोस्ट अनामियों का हौसला बढ़ायेगी और उनके आतंक मे ईजाफा ही होगा इससे.
अंत वाली अपील तो काम करने से रही.
इसका मतलब तो ये साबित करना लगभग नामुमकिन है.. तो सही यही है कि उन्हे भाव न दिया जाये..
ReplyDelete@ उड़नतश्तरी जी,
ReplyDeleteआपकी बात से सहमत हूं, लेकिन व्यंग्य का उद्देश्य इन अनामी आतंकियों की आत्मा जगाना नहीं, बल्कि ब्लॉगर साथियों को उस बात के लिए जागरुक करना है, जो पोस्ट में लाल शब्दों में कही गई है।
अनामी टिप्पणी का विकल्प बंद कर दो या कमेंट्स को मोडरेट रखो।
मैंने भी इसे आज चालू कर दिया है। हर ब्लॉगर ऐसा कर दे तो ये आतंकवाद खुद-ब-खुद खत्म हो जाएगा।
आपकी पोस्ट के गहन अध्य्ध्यन के बाद यह निकला कि आप सिर्फ़ एक अच्छे तकनीकी ज्ञाता ही नही एक अच्छे व्यंगकार भी हैं.
ReplyDeleteआपने एक बहुत ही सुंदर व्यंग लिखा है. आपका यह कथन कि "
तो अनाम साथियों आप आराम से अपने काम में लगे रहिए। आखिर कुछ साथियों ने अनाम का विकल्प खुला रख छोड़ा है, टिप्पणियों को मॉडरेट नहीं करते तो आप उनकी इस सेवा का जमकर फायदा उठाइए।"
आपके उपरोक्त कथन से यह समझ आरहा है कि काऊंटर वगैरह लगाना इतना प्रभावी शायद ना हो जबकि हम इन राहु-केतुओं (बेनामी) से मोडरेशन के जरिये प्रभावी रुप से काबू पाया जा सकता है.
यहां जब आज यह बहस छिड ही गई है तो मैं यह भी कहना चाहूंगा कि जिस ब्लाग पर किसी अन्य ब्लागर के खिलाफ़ कोई राहु-केतु आकर अनाम बकवास कर के जाता है तो उसे सिर्फ़ अपनी पबलिसीटी के लिये उनको नही छापनी चाहिये.
आखिर एक स्वस्थ माहोल को खराब कर दिया गया है और जाहिर कि शक की सुई किधर है? य अभी तक तय नही हो पाया है.
ऐसे मे मोडरेशन सुचिधा का उपयोग करना जरुरी है.
रामराम.
हां यह सही है कि इलाज से बेहतर सुरक्षा के उपाय हैं.
ReplyDeleteरामराम.
कुछ ऐसी ही टिप्पणी मैंने सारथी पर लिखी है कि
ReplyDeleteStatCounter जैसी मुफ्त में मिल रही सेवा की अपनी सीमायें हैं। इससे कुछ हद तक आइडिया तो लग सकता है, किन्तु सटीक निशाना नहीं लगाया जा सकता। भारी भुगतान लेकर अत्याधुनिक तकनीकी सेवायें देने वाले तो आपकी इच्छा को पूरा करते हुये बाकायदा उस व्यक्ति की, उसके कम्प्यूटर सहित बखिया उधेड़ कर हाथ में रख देते हैं और देते हैं ऐसे वैज्ञानिक सबूत जिन्हें दुनिया की कोई अदालत झुठला नहीं सकती।
अब ये बडे आफ़त की बात कह्डी करदी. रचना जी कह रही है कि काऊंटर पकड सकता है और आप पैरवी कर रहे हैं कि काऊंटर बेकार है सिर्फ़ मोडरेशन प्रभावी है.
ReplyDeleteऐसे मे सवाल यह है कि यह कोई मछली को फ़ंसाने वाला जाल आपने और ब्लाग जगत के धुरंधरों ने मिलकर फ़ैलाया है? जिससे इन अनानीमस को पकडा जा सके.
मुझे तो ऐसा ही लगता है वर्ना कोई काऊंटर बनाता ही क्यों? अगर आपने यह जाल बेनामियों की धरपकड के लिये फ़ैलाया है तो आपको बधाई.
@ बी एस पाबला साहब
ReplyDeleteआपकी बात मे दम तो है पर सोचने वाली बात यह है कि हम हिंदी के ब्लागर अपना डोमेन लेने मे तो सक्षम नही हैं तो फ़िर यह भारी भरकम खर्च कैसे ऊठायेंगे?
bhai maza aa gaya ..waha main bhi bahut pareshaan tha ..ab maine moderation laga liya hai ...
ReplyDeletekya kare yaar ......sukh aur shaanti hame bhi to chahiye na ...
आपका सुझाव सही है बन्धु ,बेनामी टिप्पडी को तो हम लोग स्वयं ही रोक सकते हैं .
ReplyDeleteaashsih
ReplyDeletethanks that you found my post owrth mentioning
we are all learners , you being the best
अपना घर मजबूत रखना ही सबसे अधिक सुरक्षित होता है ।
ReplyDeleteआशीष जी का धन्यवाद
ReplyDeleteयह बतलाने के लिए कि बेनामी
जो टिप्पणियों से मचाते हैं बवाल
हैं सबके सब बिना बाल
क्योंकि जिनके बाल न हों
उनका ही बाल बांका नहीं किया जा सकता।
पर इससे तो सभी गंजों की शामत आ जाएगी
बिना आई पी के भी शक की सुई बार बार
उनकी तरफ ही घूम जाएगी
उन्हें कैसे बचाएगी
उपाय वे ही ढूंढें।
वैसे भी अगर जाल में फंस भी गए बेनामी तो
गंजे होने की वजह से
पकड़ में नहीं आयेंगे
क्योंकि कई जगह की पुलिस
अपराधियों को बालों से पकड़ कर ही
धराशायी करती है
पर ये फिसल जायेंगे और
पकड़ने वाले धराशायी हो जायेंगे।
बेनामी बोल रहे हैं झूठ
पैसे की कमी इनके पास हो ही नहीं सकती
गंजे सब माया माल वाले होते हैं
सारी दुनिया जानती और मानती है।
इनको बस जानने वाले कम होते हैं
इन्हें अनजाने होने के ही गम होते हैं
पर अब बेनामी टिप्पणियों से
इनकी भी मच रही है धूम
ऋतिक रोशन भी इस पर सकते हैं झूम
ये धूम मचा रहे हैं धूम।
अब इनकी शान में इससे ज्यादा कशीदे क्या काढ़े जाएं
ये इतने ही करें सब्र
अभी तो और भी पोस्टें और टिप्पणियां आनी हैं
जिन पर अपनी राय हमें बतलानी है
करनी है कोशिश बेनामियों को नाम देने की
ब्लॉग जगत में सम्मान देने की
करना चाहते हैं हम उन्हें पुरस्कृत
पर जो सामने आयेंगे विवशता है हमारी
उन्हीं को सम्मानित कर पायेंगे।
इन बेनामियों को ईश्वर ही सदबुद्धि दे दे तो ये समस्या निपट सकती है. हालांकि इसके चांस कम ही दिखाई देते हैं।
ReplyDeleteये वे लोग होते हैं जो ब्लोगिंग तो करते हैं, लेकिन इनके ब्लॉग पर कोई जाता नहीं. अब इन्हें "नामी" टिप्पणी करनी तो आती नहीं, तो ये बेचारे "बेनामी" ही कर देते हैं.
ReplyDeleteकल ही आपसे बात हुयी और आज धाँसू पोस्ट हाजिर
ReplyDelete....बहुत खूब
बहुत ही अच्छी पोस्ट है आपकी
सच में मजा आ गया !
बेनामी से वो डरे जिसके मन में कोई चोर हो !
हर चीज की उपयोगिता होती है !
कभी-कभी यही बेनामी ही हैं जो असलियत की झांकी दिखा जाते हैं जो तथाकथित शरीफ लोग कह नहीं पाते !
वरना ब्लागिंग का क्या हाल है किसी से छुपा है क्या ?
भाई इसको भी स्वस्थ लोकतांत्रिक तरीके से लेने की जरूरत है !
आखिर मेरी तरह यहाँ ढेर सारे ब्लॉगर हैं जो माडरेशन चालू किये बिना अपना काम कर रहे हैं, उन्हें किसी तरह की समस्या नहीं है !
सच कहूँ तो ये बिलकुल बेकार का मसला है ... जिसको परेशानी हो वो माडरेशन आन कर ले !
डर तो मेरे जैसे लोगों को होना चाहिए जो हमेशा दूसरों के मसले में टांग अड़ाते हैं ! उन लोगों को काहे का डर जो सुबह से शाम तक घूम-घूमकर वाह-वाह का रिकार्ड बजाते हैं !
वो भी किसलिए ?
प्रतिक्रिया पाने के लिए ही न ?
प्रतिक्रिया पाने की लालसा तो इस कदर कि अगर किसी ने एक ही प्रतिक्रिया गलती से सात बार कर दी है तो प्रकाशित सातों होंगी .... कसम धरती मैया की .. एक भी डिलीट नहीं हो सकतीं !
मेरी अपील है कि बेनामियों को जरा भी भाव न दिया जाए !
आज की आवाज
aashishji,
ReplyDeletebahut achha laga, aapne is masle par maarg darshan kiya ....
lekin main abhi tak ye nahin samajh paya hoon ki aakhir samasya hai kya?
ek bhalaa aadmi mujhe niyam poorvak rozana gandi gaaliyon me tippani karta hai, lekin vo sirf main hi padhta hoon aur mita deta hoon...
sabhi log agar aisa karen...modretion ka laabh len toh koi samasya hi nahin..........
RAHI BAAT AATMA_VAATMA JAGAANE KI......TOH BHAI SAHEB, NA HI JAGAAO TO ACHHA....HAMAARE RAJASTHAAN ME EK KAHAAVAT HAI KI SAANP SOOTA HI BHALAA.............IN DUSHT AATMAAON KO JAGAANE KA UPKRAM NA HI KARO TOHJ ACHHA......... JAB YE SOYI HUI ITTEE GANDI HARKATEN KARTI HAIN TOH JAGNE K BAAD TOH BHAGWAN HI MALKIK HAIN..
ha ha ha ha
रचना जी की पोस्ट मैने भी पढी थी मुझे भी लगा था कि इतना आसान नहीं बेनामियों की पहचान .. वास्तव में शीर्षक से लेकर पोस्ट तक यह आपने व्यंग्य ही लिखा है .. एक नई शैली में आलेख लिखने के लिए बधाई।
ReplyDeleteमहज एक दो मछलियों ने सारा तालाब गंदा कर रखा है -व्हायी नाट फिश देम आउट ?
ReplyDeleteआपने भी अपनी ,उर्जा ,समय एक खामखाँ के टोपिक पर वेस्ट कर दिया .आप काफी उपयोगी काम कर रहे है ..इग्नोर करके कुछ ऐसी चीजे ब्लॉग पर डालिए जो उपयोगी हो.
ReplyDeleteओर हाँ एक बात ओर
ReplyDeleteइससे तो अच्छा हमें हिंदी ब्लोगिंग की गुणवत्ता ...ओर पोस्ट के कंटेंट पर बात करनी चाहिए . तो हिंदी ब्लोगिंग का ज्यादा भला होगा.
आशीष जी आने दीजिये इन खलनायकों की जब तक आप जैसे हीरो हैं, तब तक हमें इनका कोई डर नहीं...
ReplyDeleteमीत
बहुत खूब! लोग अनुभव से सीखते हैं। पर चेताने वालों की भूमिका भी कम नहीं होती।
ReplyDeleteभाई वाह क्या पोस्ट है :)
ReplyDelete"...मेरे काबिल दोस्तो, मुझे पूरा भरोसा है एक न एक दिन आपकी आत्मा जरूर जागेगी और उस दिन आपको अहसास होगा कि आपने क्या किया। हो सकता है आप तब तक कितने ही साथियों पर इस समय और पैसे की बर्बादी वाली ब्लॉगिंग से दूर करने का अहसान कर चुके हों, कुछ लोगों के बीच अकारण वैमनस्य बढ़ा चुके हों या कितने ही लोगों के बीच गलतफहमियां पैदा कर चुके हों। ईश्वर आपको सदबुद्धि दे।..."
ReplyDeleteआमीन!
एक साझा प्रयास किया जा सकता है जिसमे सभी ब्लोगर अपना अपना आई पी एड्रेस उपलब्ध करवाए..इसे एक जगह पर सुरक्षित रखा जा सकता है फिर कभी भी किसी के ब्लॉग पर कोई अनाम टिपण्णी आये तो पता लगाया जा सकता है.. लगातार ट्रेस करने के बाद मेरे पास कई लोगो के आई पी एड्रेस लेबल किये हुए है जिनसे मुझे पता चलता है कि किसने मेरे ब्लॉग को कब विसिट किया.. पर फिर भी मैंने ब्लॉग पर अनाम कमेन्ट की सुविधा नहीं दे रखी है..
ReplyDeleteइस विषय पर कहने के लिए तो बहुत कुछ है पर फुर्सत से..
वैसे ये पोस्ट तो अनाम टिप्पणीकारो का हौसला ही बढाएगी :)
आशीष जी ठीक है 'इलाज से परहेज अच्छा'।
ReplyDeleteआपने बहुत अच्छी जानकारी व्यंग्य के माध्यम से दी है ।
ReplyDeleteमै तो यह मानता हू कि इससे आपकी टिप्पणियों का रिकार्ड तो बढ ही जाता है ।
इधर बीच तो मेरे ब्लोग पर अनाम अच्छी टिप्पणियाँ कर रहे हैं । परेशानी तो मुझेभी नहीं है कोई । वैसे मोडरेशन लागू करना अच्छा विकल्प है । हम भी देखते हैं इसे । धन्यवाद इस प्रवष्टि के लिये ।
ReplyDeleteऔर हाँ, प्रस्तुति तो शानदार है इस आलेख की, बिलकुल मजे हुए ढंग से लिखा है आपने ।
वाह आशीष भाई, खूब भिगो कर जूते मारे आपने बेनामी टिपण्णी वीरों को...
ReplyDelete..आपकी जानकारी तो हमेशा उम्दा होती ही है.
मैंने टिप्पणी माडरेशन चालू किया है जब भी कोई टिप्पणी आती है तो मेल से उसे publish कर देता हूँ तो एक नया पेज खुलता है उसे बदं कर देता हूँ पर फिर से वही टिप्पणी मेल पर आ जाती है। और टिप्पणी प्रकाशित हो जाती है। कुछ समझाये इस अनाडी को। पोस्ट ढूढ रहा इस पर पर मिली नही। देखता हूँ दुबारा से याद है कि आपने शायद पोस्ट की थी इस पर।
ReplyDeleteअज्ञात टिप्पणीकारो मेरे ब्लॉग पर खूब टिप्पणी करों ! हम तो फ़िलहाल बिना डरे मोडरेशन बंद ही रखेंगे |
ReplyDeleteआपकी समझाईश शायद काम कर जाये।आमीन्।
ReplyDeleteइस जालस्थानों पर वाकई कोई ऐसी सुविधा होनी चाहिये जिससे इन बेनामी टिप्पणी करने वाले आतंकवादियों को पकड़ने में मदद मिले।
ReplyDeleteदिलचस्प पोस्ट,
ReplyDeleteबेनामी जी ।
आपके लिए खुशखबरी है।
बेधड़क होकर अपना काम करते रहिए।
आशीष जी, अनामों को काबिल समझने के लिए 'अखिल भारतीय अनामी महासभा' आपको धन्यवाद देती है. आप हम क्रांतिकारियों के जज्बे को सलाम न करें. अगर करना ही हैं तो हमारे कब्जे को सलाम करें. हमारे आई पी एड्रेस को ढूढने में पापड़ बेलने पड़ेंगे, यह बताकर आपने हमारा आत्मविश्वास महेंद्र सिंह धोनी और हरभजन सिंह से भी ऊंचा कर दिया है. वैसे तो आजतक हम क्रांतिकारियों की किस्मत बुरी नहीं रही है. आशा है कि आगे भी बुरी नहीं रहेगी. अनामी महासभा आज ही एक प्रस्ताव पारित करके हर एक अनामी को डायनामिक आई पी एड्रेस लेने के लिए उकसाएगी.
ReplyDeleteआपको धन्यवाद देने के अलावा अनामी महासभा उन सभी चिट्ठाकारों को भी धन्यवाद देती है जिन्होंने अपने चिट्ठे पर अनामियों को टिपण्णी करने की खुली छूट दे रखी है. इससे हम अनामियों के प्रदर्शन में डबल डिजिट ग्रोथ होती रहेगी.
इसके साथ ही मैं अनामी, अपनी टिप्पणी की इति करता हूँ.
जय अनामी
वाकई ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं!
ReplyDeleteवैसे इतना तय है कि ब्लॉगजगत में आप जैसे 'सुपरमैन' के रहते ये कोई बहुत बड़ी उपलब्धि तो हासिल कर पाने से रहे :-)
@ राम प्रसाद 'अनामी ', महासचिव अखिल भारतीय अनामी महासभा
ReplyDeleteके सचिव महोदय को सादर नमन।
हे त्रिपुरारी, आपकी इस संस्था की सदस्यता कहां मिलेगी? हम बडा बैचेन हूं आपकी महा सभा का मेमेबर बनने के लिये।
कसम खाता हूं कि सबके ब्लागों पर ताला लगवा दूंगा। ऐसी २ टिपणीयां करुंगा कि लोग शर्म से अपने ब्लाग डिलीट करके चले जायेंगे. बस महापर्भु आपका आशिर्वाद मिल जाये। और वादा रहा कि
पहली टिपणी की शुरुआत भी आपसे ही करुंगा.:(((
@ रामप्रसाद अनामी जी और उनके भावी शिष्य
ReplyDeleteसलाह दूंगा कि आप अपने नाम के आगे अब अनामी लिखना बंद ही कर दें, क्योंकि अब आपका नाम और पता ट्रेकिंग रजिस्टर में दर्ज हो चुका है.. हमें बुश और ओबामा मत समझिए कि लादेन का ठिकाना ढूंढ़ ही न सकें.. :)
ओर हाँ एक बात ओर
ReplyDeleteइससे तो अच्छा हमें हिंदी ब्लोगिंग की गुणवत्ता ...ओर पोस्ट के कंटेंट पर बात करनी चाहिए . तो हिंदी ब्लोगिंग का ज्यादा भला होगा
mai Dr. Anuraag ki baat se puri tarah sahamat hu...
एनॉनिमासय: नम:।
ReplyDeleteभाई आशीष जी ये टिपणी करते हुये मेरा IP ऎडरेस यहां दिख रहा है वाह कमाल कर दिया...
ReplyDeleteरामराम.
भाई आशीष जी ये टिपणी करते हुये मेरा IP ऎडरेस यहां दिख रहा है वाह कमाल कर दिया...
ReplyDeleteरामराम.
HINDI BLOG JAGT EK KADAM AUR AAGE BADHA................
ReplyDeleteTHANX 2 U
MUMBAI TIGER
HEY PRABHU YEH TERA PATH (4)
मोडरेशन लगाने में एक ही समस्या है कि आपको य तो कम्प्यूटर पर ही ध्यान रखना होग कि बार बार टिप्पणियाँ मोडरेट करें य फिर लिखकर, पोस्ट करके भूल जाना होगा कि टिप्पणियाँ भी शायद आ रही होंगी।
ReplyDeleteमुझे एक या दो दिन तक बिना मोडरेशन के टिप्पणियाँ आने देना अधिक सुविधाजनक लगता है और उससे पुरानी पोस्ट्स पर मोडरेशन रखना ताकि कोई पुरानी पोस्ट्स पर आपत्तिजनक सामान न डाल जाए। यह सुविधा ब्लौगर में है।
घुघूती बासूती
ham aapke hosle ko salam karte hai sir. aap jaise bahadur major ke sanidhya me rahkar ham bloging karenge jamke karenge. dekhe un blog delet karvane walo ko. kisme kitna hai dum.
ReplyDeleteajay soni
parlika
thank you. mai aap ke rai se sahmat hoon
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