कल रचना जी की पोस्ट क्या आपकी टिप्पणी पोस्ट पर होती हैं या आप कि टिप्पणी नाम और उससे जुडे परसेप्शन पर होती हैं ने आंखें खोल दी। आज चूंकि वित्तीय वर्ष का आखिरी दिन है, इसलिए हम साल भर के अपने कमेंट ट्रांजेक्शन की भी बेलेंस शीट पूरी करने के लिए बैठ गए। एक अप्रेल 2008 से आज यानी 31 मार्च, 2009 के बीच की गई 13,844 टिप्पणियों में से हर टिप्पणी को खोलकर देखा। उन्हें कमेंट करने की वजह के हिसाब से बांटा तो नीचे दिए गए नतीजे सामने आए-
मेरी टिप्पणियां आठ वजहों से की गई थीं-
वजह 1- पोस्ट पढ़ते ही स्वतःस्फूर्त कमेंट बॉक्स में उंगलियां चलने लगीं। लेखक ने इतना बिंदास और झक्कास लिखा था कि टिप्पणी कर आभार जताना अपरिहार्य हो गया था।
वजह 2- कभी-कभी ब्लॉगवाणी, चिट्ठाजगत या नारद खोलते ही जो भी पोस्ट मिली उस पर टिपिया गए हम।
वजह 3- 'आपने मेरे ब्लॉग पर टिप्पणी की है तो सदाशयता के नाते मुझे आपके ब्लॉग पर भी टिप्पणी करनी चाहिए।' इस महान विचार को आधार बनाकर भी हमने काफी सारी टिप्पणियां ठोंक डालीं।
वजह 4- अगर फलां जी की पोस्ट पर टिप्पणी नहीं की तो मेल पर या फोन पर बोलेंगे/ बोलेंगी कि आज आपने मेरी पोस्ट नहीं पढ़ी। तो टिप्पणी कर दो, जिससे उपस्थिति दर्ज हो जाए। ऐसा भी कुछ जगह हमारी टिप्पणियों में देखने को मिला।
वजह 5- नामचीन चिट्ठाकारों की निगाह में आने के लिए उनकी पोस्ट पर टिप्पणी करने से बेहतर तरीका क्या हो सकता है। ऐसा भी कई बार सोचकर हम कुछ भारी भरकम चिट्ठों पर टिपिया गए।
वजह 6- पहेली-वहेली जीतने के फेर में भी हमने बहुत टिप्पणी की। यह बात और है कि एक बार भी हम विजेता नहीं बन सके।
वजह 7- अपने ब्लॉगर धड़े के तुष्टिकरण के लिए। वैसे तो हम जी किसी धड़े में यकीन नहीं रखते, लेकिन फिर भी हमें एकाध बार बाध्य किया गया कि फलां ब्लॉग पर फलां तरह की टिप्पणी कर दीजिए। ज्यादा बहस न करते हुए हमने ऐसा कर भी दिया।
वजह 8- हिन्दी ब्लॉग जगत की हौसला अफजाई के लिए। हमें लगा कि हिन्दी ब्लॉग संसार को हौसला अफजाई की जरूरत है, इसलिए उन पोस्टों पर टिप्पणी कर दी जाए, जहां एक भी कमेंट नहीं। लेकिन हमारी टिप्पणी उन्हें कोई हौसला नहीं दे सकी और अब ऐसे ब्लॉग मृतप्रायः ही नजर आ रहे हैं।
देखिए, मैंने यहां अपनी टिप्पणियों के सच का खुलासा किया है। यह पूरी तरह से मुझ पर ही आधारित है। अगर किसी अन्य के साथ इसकी समानता पाई जाती है तो इसे महज संयोग ही समझा जाए।
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Tuesday, March 31
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ब्लॉग की दुनिया में हमारी टिप्पणियों की प्रजातियां (व्यंग्य)
About Ashish Khandelwal
वर्ष 2003 से विज्ञान एवं तकनीकी विषयों पर लेखन। देश के प्रतिष्ठित समाचार पत्र—पत्रिकाओं में तीन हजार से अधिक आलेख प्रकाशित। 'राजस्थान पत्रिका' में पिछले नौ वर्ष से साप्ताहिक कॉलम 'टेक गुरु' का प्रकाशन। डिजिटल और सोशल मीडिया विशेषज्ञ। सम्पर्क करें: com.ashish@gmail.com
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विज्ञापन तो भूल गये?
ReplyDeleteआशीष जी, हमें तो कोई व्यंग्य नहीं दिखाई दिया.....आपने तो पूर्णत: सच्चाई ही ब्यां की है.
ReplyDeleteकाफी समझदार टिप्पणीकार हो लिए आप तो ..बधाई :-)
ReplyDeleteअब हमारी इस टिप्पणी की वजह तो वजह न.१ ही मानिये | पोस्ट पढ़ते ही अपने आप अंगुलियाँ चल गयी |
ReplyDeleteइसी बहाने आपकी भी एक पोस्ट बन गयी.चलो हम भी टिपिया देते हैं. (un-categorised)
ReplyDeleteaapne bahut hi achha likha hai
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सच ---सच और सिर्फ सच
ReplyDeleteसच्ची बात ........साफ बात ....
ReplyDeleteक्या कहना....!!!!!!!!!!
लीजिये !नंबर आठ
ReplyDeleteवाह आशीष जी एकदम सत्य वजह बताई आपने टिप्पणी करने की .
ReplyDeletebaat ko aap kehaa tak lae gayae , bahut khub , dil khush hua apnae blog ka jikr yahaan daekh kar
ReplyDeleteऐसे कुछ संयोग तो मेरे साथ भी हैं. चलिए अगले वर्ष के लिए भी तैयार हो जाइये.
ReplyDeleteabhi to bas jatiyan aayi hain...ab upjatiyan bhi aayengi. kya vargikaran hai...vaah. meri to tippani vajah number 1 hai :)
ReplyDeleteटिप्पणीकारी पर लिखने की शुरुआत हो गयी अब । एक अच्छी प्रस्तु्ति । धन्यवाद ।
ReplyDeleteहां, व्यंग इसमें नहीं सच है सब कुछ ।
वजह क्रमांक एक स्वीकार करिए..
ReplyDeleteव्यंग क्या जी यह तो सच है सोलाह आने ...बहुत अच्छा विश्लेषण लिख डाला आपने ..एक और आठ सही है
ReplyDeleteलगता है अपने मेरा डाटा भूल से प्रस्तुत कर दिया !
ReplyDeleteआपका विचार एकदम सही है। अधिकतर टिप्पणियाँ इसी प्रकार होती हैं। वैसे आपकी पोस्ट तो काफी जानकारी देती है इसलिए उसपर टिप्पणी दिल से करते हैं।
ReplyDeleteप्रियवर आशीष खण्डेलवाल जी!
ReplyDeleteआपने टिप्पणीकारों पर अच्छा व्यंग्य कसा है।
ब्लाग का इंजीनियर वास्तव में शब्दों का भी
अभियन्ता है।
आशा है कि भविष्य में आपके अभियन्त्रण के
प्रयास जारी रहेंगे।
शुभकामनाओं के साथ।
देखिए, मैंने यहां अपनी टिप्पणियों के सच का खुलासा किया है। यह पूरी तरह से मुझ पर ही आधारित है। अगर किसी अन्य के साथ इसकी समानता पाई जाती है तो इसे महज संयोग ही समझा जाए।
ReplyDeleteहोठों पे ऎसी बात मैं दबा के चली आई, खुल जाए वही बात तो दुहाई है दुहाई.
बहुत बढ़िया......इस हाथ दे उस हाथ ले, यही नियम है इस ब्लॉग टिप्पणी का.
Kuch Suni si tippniya apke liye:
ReplyDelete"Bahut Sundar ! Badhai"
"Manohari Pathan"
"Marmik Abhi vyakti"
"Apka swagat hai"
"Yun ho chaye rahiye"
....And the Blogging Continues....
:)
हम भी नामचीन चिट्ठे के लेखक की नजर में आने के लिये टिपिया दिये।
ReplyDelete" ha ha ha ah ha itne sare reasons great.."
ReplyDeleteregards
भाई लोग एक और आठ के पीछे पडे हैं..हम तो यहां इसलिये टिपिया रहे हैं कि १३८४४ टिपणियां एक साल मे जिसने प्राप्त की हों उससे भारी भरकम और नामवर ब्लाग किस माई के लाल का होगा? सो हम तो यहां टिपियाने का मौका नही छोड सकते ना.:)
ReplyDeleteरामराम.
ताऊजी, 13844 टिप्पणियां हमें नहीं मिली है (मिली तो 1500 ही है).. 13844 तो हमने की है दूसरों के ब्लॉग पर..
ReplyDeleteआईला !लोग वजह समझे हम तो अपनी टिपण्णी का नंबर बता रहे थे की देखिये जी आप पर आठवी.....अबकी २६
ReplyDeleteबहुत खूब जी ..ये बहुत अच्छा किया
ReplyDelete- लावण्या
अरे ... आपको ऐसा कैसे महसूस हुआ ... आपकी पोस्ट पर टिप्पणियां हमलोग पूरे मन से करते हैं ।
ReplyDeleteसब से बाद ही सही हमने भी टिपिया ही दिया।
ReplyDeleteहम भी एक नामचीन लेखक की नज़र मे आने के लिये टिप्पण्णी कर रहे हैं।
ReplyDeleteवजह नंबर १ स्वीकार कीजिये
ReplyDeletekaran no 4 hamein pasand aya. apne apna ph no v e mail id nahi di. fauran deejiye. :)
ReplyDeleteghughutibasuti
vajah number 8 se hum sahmat hain. aapki lambi umr...maaf kijiyega zuban fisal gai. aapke blog ki lambi umr ki kaamana karte hain!
ReplyDeleteनव वर्ष मंगलमय हो
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस क़ी बधाई
होली क़ी शुभकामनाए
महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर बधाई
जन्माष्टमी क़ी बधाई
रक्षा बंधन क़ी शुभकामनाए
ईद मिलादुन्नबी मुबारक हो
स्वतंत्रता दिवस क़ी बधाई
नवरात्रि के अवसर पर शुभकामनाए
दिपो के उत्सव दिवाली क़ी बधाई..
क्रिसमस क़ी बधाई..
चुनाव क़ी बधाई
आई पी एल क़ी बधाई
आज नल में पानी आया इसकी बधाई..
चाँद निकल आने पर शुभकामनाए..
सूरज डूबने क़ी बधाई..
फलाने क़ी शुभकामनाए..
ढीमकाने क़ी बधाई..
बधाई क़ी बधाई
आशीष भाई, आपके द्वारा किया गया विश्लेषण खूब पसन्द आया। इसके साथ ही यदि आसानी से हो सकता तो इन कारणों का प्रतिशत भी दे देते तो और भी मज़ा आता, फिर इस पर सांख्यिकीय निष्कर्ष भी निकाले जाते। वैसे आपकी पोस्ट से एक आइडिया आया है - ऐसे सर्वेक्षण का। विस्तार से शायद कभी करा जाय इस चेतावनी के साथ सांख्यिकीय गणनाएं कभी बहुत अप्रत्याशित व परस्पर विरोधी लगने वाले निष्कर्ष भी देतीं है।
ReplyDeleteइस टिप्पणी का कारण 1+ परंतु मात्र आभार के लिये नहीँ, अपितु अपनी प्रतिक्रिया के लिये।
क्या जबरदस्त टिप्पणियों के सच का खुलासा किया है आपने ।
ReplyDeleteबेहतरीन है ऑंखें खुल गई..
ReplyDeleteमीत
क्या कहूं वरिष्ठ टिप्पणीकारों ने कोई जगह भी नहीं छोड़ी है। वैसे पोस्ट और उसपे की गई टिप्पणियां मुझे आज तक हैरान कर रही है। चोखेरबाली की एक टेस्ट पोस्ट है। उस में कुल जमा पांच लाइनें हैं वह भी यह जानकारी देने के लिए कि पेज को रिफ्रेश कर लें। और नीचे दे दनादन टिप्पणियां। :)
ReplyDeleteइस टिप्पणी को किस कैटेगरी में रखेंगे आप...
ऊपर की बात को उदाहण के रूप में लें तो मैं इसे कहूंगा विषय से संबंधित टिप्पणी। यह केवल उत्साहित ही नहीं करती बल्कि कुछ नया सोचने या जानने का अवसर देती है। लेकिन वास्वत में होता यह है कि टिप्पणी दान के क्रम में हम कुछ भी लिखने को तत्पर रहते हैं। भले ही वह उस ब्लॉग या पोस्ट से संबंधित ही न हो। कुछ शब्द तो ऐसे हैं जिन्हें कभी भी कहीं भी कहा जा सकता है। जैसे सुंदर, आभार इत्यादि। अधिक बोलूंगा तो गड़बड़ हो जाएगी।
अच्छी पोस्ट...
भाई आशीष जी , अब लगे हाथ यह भी बता दीजिए की यह कहा स पता चलता है की आपने दूसरे ब्लॉगो पर अब तक कितनी टिप्पणियां की है |
ReplyDeleteBahut badhiya nishkarsh nikaala hai, aashish ji aapne ...
ReplyDeleteyah to sachchaayee hai Ashish ji .
ReplyDeleteaap ko to blog-psychologist ki degree mil hi jani chaheeye.
हे महान लेखक !हे ब्लॉग जगत के पेले.तुम्हारी तारीफ़ क्या करू ..तुम बहुत सुन्दर खेले.हिंदी ब्लॉग तकनीक के तुम ज्ञाता ..ब्लॉग पे कोई समस्या जो कोई तुम्हे बतलाता...पल भर में हल पाता...सब संकट टल जाता..
ReplyDeleteटिप्पणियों पर पर आपका ये अनुसंधान ...
याद करेगा हिन्दुस्तान ....
बोलो आशीष जी महाराज की जय.......
आशीष जी , मैं आपके ब्लॉग को फालो करता हूँ तो अनुसरण कर्ताओं में मेरी फोटो नहीं आती है...जबकि टिप्पणी करने कि जगह मेरी फोटो आ जाती है...कृपया मार्ग दिखाए..
ReplyDeleteहम भी नामचीन चिट्ठे के लेखक की नजर में आने के लिये टिपिया दिये।
ReplyDeletehttp://technologywithentertainment.blogspot.com/
हे ब्लॉग अभियंता . आपसे सहर्ष सहमत . अगर अपनी कहूं तो कारण नंबर ४, ५, ६, ७ को छोड़ अन्य सभी कारणों से हमने टिपियाया. एक कारण ख़ास रहा जो आपने नहीं लिखा पर मेरे साथ ये खुजली जरूर रही .अगर कहीं घोर असहमति लगी तो पूरा गुबार उतार आये और हलके हो लिए .
ReplyDeleteबहरहाल आपका यह रंग पसंद आया .!