हिन्दी ब्लॉग टिप्स ने करीब दो हफ्ते पहले गूगल की ओर से भारत का भ्रमित नक्शा छापने से जुड़ी पोस्ट गूगल, यूं हिंदुस्तानियों के साथ खिलवाड़ न करो प्रकाशित की थी। गूगल ने इस खबर का संज्ञान लिया है और गूगल के आधिकारिक प्रवक्ता ने अपनी इस रणनीति का खुलासा ई-मेल भेजकर किया है।
गूगल का कहना है कि-
गूगल के जवाब का लब्बोलुआब यह है कि कंपनी ने कूटनीति अपनाते हुए अपनी साइट के तीन वर्जन तैयार किए हैं। पहला अंतरराष्ट्रीय वर्जन, दूसरा भारत के लिए और तीसरा चीन के लिए।
अन्तरराष्ट्रीय वर्जन (http://maps.google.com/) में गूगल विवादित सीमाओं को डॉटेड लाइंस से दिखाता है।
भारतीय वर्जन (http://maps.google.co.in/) में गूगल भारतीय दावे के मुताबिक सीमाओं को दिखाता है।
चीनी वर्जन (http://ditu.google.com/) में गूगल चीनी दावे के मुताबिक सीमाएं दिखाता है।
हमें ऐतराज इस बात पर है कि अगर ऐसा है तो फिर चीन के लिए तैयार वर्जन हिंदुस्तान में खुलता क्यों है? उसका एक्सेस कम से कम हिंदुस्तान में तो बंद किया जाना चाहिए।
और गूगल अगर इसे अपना अधिकार समझता है तो हिंदुस्तानी एजेंसियों को इस पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए और गूगल डीटू का एक्सेस हिंदुस्तान में बैन होना चाहिए।
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Friday, November 6
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गूगल ने दिया जवाब, किया कूटनीति का खुलासा
About Ashish Khandelwal
वर्ष 2003 से विज्ञान एवं तकनीकी विषयों पर लेखन। देश के प्रतिष्ठित समाचार पत्र—पत्रिकाओं में तीन हजार से अधिक आलेख प्रकाशित। 'राजस्थान पत्रिका' में पिछले नौ वर्ष से साप्ताहिक कॉलम 'टेक गुरु' का प्रकाशन। डिजिटल और सोशल मीडिया विशेषज्ञ। सम्पर्क करें: com.ashish@gmail.com
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बात तो सही है.. शायद उन चीनियों के लिये जो हिन्दुस्तान में रहते है...
ReplyDeleteबहुत खूब भाई आप वाकई ब्लॉग जगत के सरताज हैं... आपके साहस से हम सबमें भी साहस आ जाता है. लगे रहिये और और और अपनी ऊर्जा इसी तरह से सकारात्मक होकर इस्तेमाल कीजिये.
ReplyDeleteyes sir u r true it should be banned
ReplyDeleteआपकी बात सही है भारत में सिर्फ भारत के लिए बनाया नक्शा ही खुलना चाहिए चीन वाला नहीं |
ReplyDeleteसहमत हूँ,आशीश जी से ।
ReplyDeleteitne sundar prayash ke liye dhanybaad...
ReplyDeleteaur likhte rahiye bebak........Subhkamnaye..
शायद माओवादियों के लिये रेफ़रेंस के तौर पर इधर भी खुलता होगा… :)
ReplyDeleteअसली बात तो ये है की सभी वर्जन में निशाना भारत ही क्यों?क्या ऐसे वर्जन अन्य देशों के लिए भी अलग अलग बनाये गए है.....!
ReplyDeleteआशीष जी सबसे बडी खुशी तो इस बात की है कि आज आपके बहुत दिनों मे दर्शन हुये. और उससे भी बडी खुशी की बात यह है कि आपकी बात मे इतना दम है कि गूगल को भी आपकी बात का संज्ञान लेते हुये जवाब देना पडा.
ReplyDeleteचीनी वर्जन भारत मे प्रतिबंधित होना ही चाहिये.
रामराम.
आशीष जी से सहमत,
ReplyDeleteचलिए चीन और गूगल की खटिया खड़ी की जाए.गूगल चीन मुर्दाबाद!
बढ़िया जानकारी उजागर की है!
ReplyDeleteआशीष जी सबसे पहले तो एक गंभीर मुद्दे को उठाने की सराहनीय पहल और साहसिक प्रयास के लिये बधाई... गूगल से ऐसे ही किसी कूटनीतिक जवाब की अपेक्षा थी... इससे ज़्यादा वो कहते भी क्या... पर कम से कम अब तो गूगल डीटू का एक्सेस हिन्दुस्तान में प्रतिबंधित ज़रूर कर देना चाहिये.
ReplyDeleteयह हुई ना बात, अब समझ में आया आप कहां व्यस्त थे, सफल हो के लौटे हैं आप, बधाई
ReplyDeleteहमारा भी यही जानना चाहता है के हिंदुस्तान में खुलता क्यों है? वाकई इसका एक्सेस कम से कम हिंदुस्तान में तो बंद किया जाना चाहिए।
गूगल को जवाब देने पर विवश किया ...बहुत बढ़िया ...!!
ReplyDeleteआपकी बात से सहमत। और, गूगल तक हम हिन्दुस्तानियों की आवाज पहुंचाने के लिए धन्यवाद।
ReplyDelete.
ReplyDelete.
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सहमत हूँ आशीष जी...
ये गूगल-फूगल लालाओं की दुकानें हैं..चीन से ज़्यादा फ़ायदे की उम्मीद हुई तो उधर ही हो लेगा...
ReplyDeleteये क्या बात हुई अपनी सुविधा के अनुसार तीन वर्जन बना दिए। आशीषजी आपने सही कहा।
ReplyDeleteअगर बात इतनी ही सीधी है जितनी कि गूगल बताने की कोशिश कर रहा है तो इसकी ये हिम्मत क्यों नहीं होती कि ये क्यूबेक को कनाडा से अलग दिखाए या रूस के दक्षिण-पश्चिमी हिस्सों को रूस से अलग विवादित क्षेत्र की तरह अपने नक्शों में दिखाए.
ReplyDeleteदिक़कत हमारी सरकार की भी है कि क्यों नहीं विदेश मंत्रालय इन गूगलियों को बुला कर हड़काता. दो मिनट में इनकी हेकड़ी दुरूस्त की जा सकती है...पर सरकार को फ़ुर्सत कहां...लानत है इस तरह लेटे रहने पर.
गुगल का यह सफाई, पहले से भी ज़्यादा गन्दी है। एक स्थापित एवं ख्यात संस्था को गिरगिटान बनने से बचना चाहिए। गुगल एक ऐसी साइट है जिसे उद्ध्रित किया जाता है, अब उनके इस बयान का मतलब है कि उन्हें कोट नहीं किया जा सकता, क्योंकि वो खुद नहीं जानते कि वे क्या जानते हैं। गुगल को इसकी गम्भीरता को समझना चाहिए और पुन: साफ-सुथरी सफाई देनी चाहिए।
ReplyDeleteGoogle ki safaayee santosh janak nahin.
ReplyDelete--Kajal ji ki baat se sahmat hun.
-Made in china globes mein Bharat se kashmir alag[kataa hua] dikhaya hua hota hai..yahan wo globe bikta hai..
-kise shikayat karen?aur karen bhi to sunega kaun...??
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मुझे नही मालूम की गोगुल में चीन का नक्शा कैसा दिखाया गया है, मगर यदि तिब्बत को भी ठीक उसी तरह नहीं दर्शाया गया है जैसा की वह भारतीय क्षेत्रो को दर्शा रहा है तो यह सोचनीय बिषय है भारत के लए !
ReplyDeletehan Ashish....aajkal china kafi ujal- kood machaye hua hai..... hamein bharat sarkaar ki chuppi hi nahi samajh mein aati....bahut ho chuka liberalization ....It's time to take some strong step.
ReplyDeleteआशीष जी, काजल कुमार की बात सोचने लायक है... हमारे देश के साथ ही ऐसा क्यौं होता है कोई भी आकर हडकाता है और हम सुन लेते है...
ReplyDeleteमुम्बई हमले के बाद से सुन रहे है कारवाई के बारे में आज तक कुछ नही हुआ...
मेरे हिसाब से इन तीनों साइट्स में से दो को बन्द करना चाहिये चीनी और हिन्दुस्तानी वर्जन को... सिर्फ़ एक वर्जन होना चाहिये जिसमें विवादित हिस्से को रेड डाट से दिखा रहे है....
ये तरीका तो चापलुसी वाला हो गया...बिल्कुल अमेरिका की तरह हमारे देश में हमारा गुणगान और उनके देश में उनका गुणगान...
बिलकुल सही बात । सरकारी उदासीनता और हमारा आलस्य हमारा कितना नुकसान कर रहे हैं - कैसे समझाया जाय ।
ReplyDeleteइसे कहते है गूगल की कूतनीति ।
ReplyDeleteआपकी आवाज रंग ला रही है। लगे रहिए।
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और अब दो स्क्रीन वाले लैपटॉप।
एक आसान सी पहेली-बूझ सकें तो बूझें।
aapne bilkul sahi kaha hai ashish bhaai ise hindustan mein ban kiya jaana chahiye... hum hamari dharti par kisi or ka adhikar kyon darshane de...
ReplyDeletemeet
आपका प्रयास सार्थक हुया धन्यवाद और शुभकामनायें
ReplyDeletei am agree to your point and i think all of us must raise a campaign to wake up indian government so that indian version will be more popular on international level.
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