अगर आपने ब्लॉग पर अपना ई-मेल पता सार्वजनिक किया है, तो आपके पास भी अनजान लोगों के इस तरह के मेल आते होंगे कि हमारी पोस्ट पढ़िए, उस पर कमेंट कीजिए। जब आप सेंडर का नाम देखते हैं तो पता चलता है कि आप उसे कभी नहीं जानते, फिर भी ऐसे लोगों के मेल आपको लगातार मिलते रहते हैं।
कल मुझे एक मेल मिला, जिसमें एक सज्जन (सदाशयता के नाते नाम नहीं प्रकाशित किया जा रहा है) ने अपनी पोस्ट पढ़ने की मिन्नत के तहत 469 लोगों को मेल किया है (अगर आपका मेल पता सार्वजनिक है तो मुझे उम्मीद है कि वह यहां जरूर होगा और आपको भी यह मेल मिला होगा)। मुझे अचंभा इस बात पर हो रहा है कि इन सज्जन को इस लिस्ट को बनाने में कितनी मेहनत हुई होगी, लेकिन इस मेल के 18 घंटे बीत जाने के बाद उनकी पोस्ट पर केवल 15 टिप्पणियां ही मौजूद हैं।
आप खुद देखिए यह लिस्ट और मेल (सदाशयता के नाते नाम नहीं प्रकाशित किया जा रहा है और साथियों के ई-मेल पते काटे गए हैं ताकि इनका गलत इस्तेमाल नहीं हो)
अब ऐसे साथी मेरी इस अपील को पढ़ लीजिए-
कृपया सामूहिक मेल में हमारा ई-मेल पता रवाना मत कीजिए, क्योंकि इस तरह यह गलत लोगों (स्पेमर) के हाथ पड़ जाता है और फिर हमारे पास अनचाही मेल का सिलसिला शुरू हो जाता है।
दूसरी बात यह कि हम अक्सर इस तरह के मेल संदेशों को स्पेम कर देते हैं, यानी आपसे मिलने वाली सभी ई-मेल हमारे स्पेम बॉक्स में जाती हैं और उन्हें हम नहीं पढ़ते। अब सोचिए कि अगर आपने कभी कोई जरूरी मेल भी भेजी तो वो भी हम नहीं पढ़ पाएंगे। यानी आपका-हमारा संपर्क हमेशा के लिए खत्म।
सभी चिट्ठाकार या पाठक अच्छी तरह से जानते हैं कि उन्हें क्या पढ़ना है और क्या नहीं। ऐसे में इस तरह की मेल आपकी प्रतिष्ठा को धूमिल भी कर सकती है।
चलते-चलते एक और सज्जन की कारगुजारी देखिए-
इन सज्जन ने अपनी ई-मेल सब्सक्रिप्शन लिस्ट की संख्या बढ़ाने के लिए जबरन मेरा ई-मेल पता भरकर मुझे आमंत्रण भेजा, जिससे मैं सीधे ही क्लिक कर इनका सब्सक्राइबर बनूं। मैंने इस मेल को भी डिलीट कर दिया है।
मैंने यह पोस्ट खरे शब्दों में लिखी है, कृपया कोई साथी इसे अन्यथा न ले। आपके इस बारे में क्या विचार हैं मैं जानने को उत्सुक हूं।
स्वाधीनता दिवस की शुभकामनाएं.. हैपी ब्लॉगिंग
क्या आपको यह लेख पसंद आया? अगर हां, तो ...इस ब्लॉग के प्रशंसक बनिए ना !!
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Saturday, August 15
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469 से मिन्नतें, टिप्पणियां केवल 15.. ब्लॉगर साथियो बहुत नाइंसाफ़ी है..
About Ashish Khandelwal
वर्ष 2003 से विज्ञान एवं तकनीकी विषयों पर लेखन। देश के प्रतिष्ठित समाचार पत्र—पत्रिकाओं में तीन हजार से अधिक आलेख प्रकाशित। 'राजस्थान पत्रिका' में पिछले नौ वर्ष से साप्ताहिक कॉलम 'टेक गुरु' का प्रकाशन। डिजिटल और सोशल मीडिया विशेषज्ञ। सम्पर्क करें: com.ashish@gmail.com
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sir, mere paas bhi yah email aaya tha, maine bhi delete kar diya.
ReplyDeleteआशीष जी इस तरह अपनी पोस्ट का प्रचार करती कई मेल आती है और यह मेल देखने के बाद उस ब्लॉग पर जाने का मन ही नहीं करता ! मेरी नजर में तो इस तरह का कृत्य करने वाले की गलत छवि ही बनती है | यदि पोस्ट में दम होगा तो लोग जरुर आयेंगे पढने | ऐसे हथकंडो से तो पाठक आने से रहे | और वैसे भी सबसे ज्यादा पाठक तो गूगल सर्च से ही आते है |
ReplyDeleteस्वाधीनता दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं |
ReplyDeleteआशीष हमें भी इस समस्या से हर रोज दो चार होना पडता है।
ReplyDeleteदिन में कम से कम 25-30 मेल तो इस प्रकार की आ ही जाती हैं।
बहुत बुरी बात है. मैंने तो ऐसा न कभी किया है, न कभी करूँगा.
ReplyDeleteहमारा लिखा हुआ कुछ ऐसा कालजयी थोड़े ही है जो उसके लिए ऐसे जतन करने पड़ें.
कालजयी होगा तो कोई जतन नहीं करना पड़ेगा.
हम बड़े प्रसन्न हुए कि हमारा ई मेल आइ डी इसमें नहीं है। मशहूर न होना बहुत अच्छा होता है।
ReplyDeleteहै कि नहीं?
वैसे सतर्कता के तहत शायद पहली बार बेनामी टिप्पणी दे रहे हैं। ई मेल पता न चल जाय ;) नाम दिए देते हैं- गिरिजेश राव ;)
ashish jee
ReplyDeletebahut accha ab ti ye sare mail id save kar sakte hai :)
sorry hindi me type nahi kar pa raha hu
आशीष जी
ReplyDeleteमैंने अभी नया-नया ब्लॉग शुरू किया है । ब्लॉग के बारे में कुछ ज्यादा जानकारी न होने के कारण आपका ब्लॉग ज्वाइन किया । आपके ब्लॉग पर मिली जानकारी के आधार पर काफी कुछ सीख गया हूं । आपका बहुत बहुत धन्यवाद । लेकिन अपने ब्लॉग के Traffic को बढाने के लिए सिर्फ आपके ब्लॉग की ही सहायता ली है । आपके द्वारा बताए गए उपायों से असर ही हुआ है । लेकिन ये दोनों तरीके गलत है । आपको एक बार पुन: धन्यवाद । लेकिन आपके शिष्य के ब्लॉग का पता तो देना ही भूल गया हाजिर है http://mahendra-freesoftware.blogspot.com/
आेह ! मेरा नाम क्यों छोड़ दिया इन सज्जन ने ?
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeletei hope aashish people understand that its spam they are serving time and again
ReplyDeleteregds
rachna
खरे शब्दों में खरी बात
ReplyDeleteवैसे, ऐसी ईमेल्स की तो मैं भी कभी परवाह नहीं करता।
पहले जो ये बताये की आपने ४६९ गिने कैसे इन मेल्स आई डी में > :)
ReplyDeleteऐसी मेल्स तो हमें भी आती है.
ध्यान देने योग्य बाते है,
ReplyDeleteनजर हटी कि दुर्घटना घटी, वाली कहावत चरितार्थ होती दिख रही है।
आशिषभाई इस चेताई भरी पोस्ट के लिए शुक्रिया।
हे प्रभु यह तेरापन्थ
वाइरस हर जगह हैं
ReplyDeleteaapka blog apne side bar me joda hai ummid hai aapki sahmati mil jayegi
ReplyDeleteआपके ब्लॉग में आपने कोई टिप्पणी नियनत्रण नहीं रखा है अन्यथा पता ही नहीं चलता की टिप्पणी पोस्ट हुई है की नहीं . आज मैंने कई नए ब्लॉग देखे जिनमे नियंत्रण तो है लेकिन टेम्पलेट ठीक नहीं है
ReplyDeleteसच में बहुत से अनजाने मेल आते रहते हैं हमारे पास भी । परेशान हो गया हूँ ।
ReplyDeleteयहभी सच है कि पढ़ने वाला काम की प्रविष्टियाँ खुद ही पढ़ने को उत्सुक रहता है, उसे उद्दीप्त करने की क्या आवश्यकता ?
सावधान करने के लिए आभार।
ReplyDeleteआज आपने एसी समस्या के बारे मे लिखा है जिससे सभी ब्लोगर बन्धु परेशान है । हमारे पास केवल स्पैम रिपोर्ट करने के शिवाय दूसरा कोई रास्ता ही नही बचता है । जब भी कोई नया ब्लोग शुरू होता है तो मै उस पर एक बार जाता हू अगर मेरे काम का लगता है तो गुगल रीडर मे एड कर लेता हू नही तो उस पर ध्यान ही नही देता हू । आपने इस प्रकार की समस्या की तरफ ध्यान दिलाया आपका अभार ।
ReplyDeleteबहुत उलझन में डालने वाला मुद्दा आपने उठाया है -रहीम का एक दोहा याद आता है -
ReplyDeleteरहिमन वे नर मर चुके जो कहिं मागन जायं
उनसे पहले वे मुए जिन मुख निकसत नाहिं
आप अपने स्टैंड पर बिलकुल सही हैं -यह सामान्य अंतर्जाल -शिष्टाचार के विरुद्ध भी होना चाहिए की
बिना पूर्व परिचय के इस तरह का पत्र न भेजा जाय !
मगर लोग अन्यान्य कारणों से प्रोटोकोल का उल्लंघन करके ऐसी फरियादें करते रहते हैं जो वस्तुतः स्पैम की कटेगरी में आती हैं
मुझे भी यह मेल मिला था -बुरा लगा ! आज से तीन वर्ष पहले ऐसे मेल बुरे नहीं लगते थे -बल्कि रोमांचपूर्ण उत्कंठा हो आती थी !
तब नेट प्रोटोकोल से भी पूरी तरह परिचित नहीं था और जुड़े खतरों से भी ! व्यस्तता भी आज जैसी नहीं थी !
पता नहीं मैंने उस मेल के साथ क्या बर्ताव किया -आप ने इसे विचार विमर्श का मुद्दा बना कर ठीक किया ! हो सकता है ब्लागजगत के वे लोग जो अभी आप जैसे व्यस्त न हो इसका जवाब भी दिए हों या समीरलाल सरीखे भोलेनाथ व्यक्तित्व ने रिस्पाण्ड भी किया हो ! बहरहाल मुझे भी लोगों की प्रतिक्रया जानने की उत्सुकता रहेगी !
धन्य हो!
ReplyDelete469 को मेल किया।
15 टिप्पणी आ गयी।
मेहनत कुछ तो रंग लाई।
आशीष ने इस पर पोस्ट लिखी।
यह भी वास्तव में एक उपलब्धि तो है ही।
स्वाधीनता दिवस की सभी को शुभकामनाएँ..
हैपी ब्लॉगिंग।
ईमेल इत्ते सारे एक बार में करने वाला कित्ता मेहनती रहा होगा! है न! उसकी तारीफ़ करनी चहिये!
ReplyDeleteवाह जी आपके पास तो इतने सारे मेल का डाटा बेस अगले ने भेज दिया और आप धन्यवाद देने की बजाये नाराज हो रहे हैं?:)
ReplyDeleteरामराम.
सही मुद्दा उठाया है.
ReplyDeleteइस तरह की अनचाही ,अनजाने लोगों से आई ईमेल सच में 'परेशान करती हैं,ख़ास कर जब आप की जानकारी के बिना आप का ईमेल किसी ग्रुप 'में subscribe कर दिया जाता है और कन्फर्म करने के लिए आने वाली मेल से reality मालूम chalti है.
आप ने यहाँ feedburner वाला उदाहरण दिया है.
मेरे ख्याल से जो ईमेल पसंद न हों उन्हें स्पैम मार्क करते चलें ...ज्यादा परेशान हों तो ब्लाक कर दें...और कोई इलाज नहीं है.
मैं तो ऐसे तमाम लोगों से बुराई मोल लेता ही रहता हूँ!
ReplyDeleteपर कमाल के सिरफिरे और बेशर्म टाइप के लोग
सक्रिय हैं अंतरजाल पर, जो मानते ही नहीं हैं
और सही बातों को भी अन्यथा लेकर बखेड़े खड़े करते रहते हैं!
क्रमश: ... ... .
आज़ादी की 62वीं सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं। इस सुअवसर पर मेरे ब्लोग की प्रथम वर्षगांठ है। आप लोगों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मिले सहयोग एवं प्रोत्साहन के लिए मैं आपकी आभारी हूं। प्रथम वर्षगांठ पर मेरे ब्लोग पर पधार मुझे कृतार्थ करें। शुभ कामनाओं के साथ-
ReplyDeleteरचना गौड़ ‘भारती’
इन्हे माफ करना प्रभु, ये नहीं जानते कि ये पत्थर की दीवार से सिर फोड़ रहे हैं!
ReplyDeletehan ashish ji..... bahut sahi lekh hai...koi accept kare ya na kare but its fact that comments are connection of exchange....it is exist in hindi blogging.....aur han demanding bhi......aapki bebaki pasand aayi
ReplyDeleteजी हां
ReplyDeleteबिन मांगे मोती मिले
मांगे मिले ना भीख
ये तो वो हिसाब हो गया। अरे भैया, अगर आपकी पोस्ट इतनी ही लुभावनी होगी तो पाठक स्वयं ही आयेंगें आपके ब्लाग पर
अब डा अनुराग के ब्लाग पर देखिये, हर पोस्ट पर कम से कम 50 टिप्पणियां तो होतीं ही हैं। और हमारे ब्लाग पर गिनी चुनी पांच से छह । लेकिन मैं इस तरह से मेल कर के किसी को तंग नहीं करता अब। पहले कर दिया करता था मेल अपने दोस्तों को, लेकिन अब उनको भी नहीं करता। अपने ब्लाग पर ई-मेल सब्स्क्रिप्शन का आप्शन डाल दिया है, जिसको पढ़ना होगा, खुद ही सब्स्क्राईब कर लेगा
योगेश
http://tanhaaiyan.blogspot.com
हमें तो यह सोचकर आत्मग्लानि हो रही है कि इतने लोगों को मेल मिला पर हमें न मिला :)
ReplyDeleteगलत बात है आशिष जी..
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस पर आपने उनली स्वतंत्रता की वाट लगा दि.. अच्छा नहीं किया..:) वैसे १५ टिप्पणी बुरा स्कोर नहीं है..
दूसरा वाला उदाहरण बहुत नायाब है.. अपनाता हूँ
वाकई बहुत मेहनत की है इन भाई साहब ने
ReplyDeleteश्रीमान जी ये झल्ला भी इसी रोग का शिकार हे कृपया उपाए बताइये
ReplyDeleteझल्ली-कलम-से
अंग्रेजी-विचार.ब्लागस्पाट.कॉम
झल्ली गल्लां
हाय हम इस सूची में भी ना हुए…
ReplyDeleteआशिस जी, मूझे हिन्दी मे एक लोगो बनाना है|
ReplyDeleteजिसपर मै हिन्दी मे लिखना चाहता हूं|
फोटोसोप मे लिख लेता हूं पर 30 मिनट लग जाते हैं हिन्दी मे लिखने मे क्या कोई टूल या कूछ एसा है जिससे मै फोटो मे हिन्दी मे आसानी से लिख लूं जैसे बारहा से लिखते हैं ???
kunnusingh18@gmail.com (स्पैम से नही डरता :) अब सिधे स्पैम मेल मे डाल देता हूं हर स्पैम ईमेल )
आशीश जी जा्नकारी के लिये
ReplyDeleteसही मुद्दा उठाया है आपने ऍसी चिट्ठियों के मद्देनज़र। टिप्पणियों में बिना किसी कारण के लिंक देने वाले भी इसी कोटि में आते हैं।
ReplyDeleteपर ई मेल सब्सक्रिपश्न वाली चिट्ठी आपके किसी अन्य मित्र द्वारा आपका ई मेल डाल देने से भी आ सकती है। अगर खुद ब्लॉग लेखक ने ऍसा किया है तो वो सही नहीं है।
यही e-mail थी या नही पता....लेकिन बिल्कुल ऐसी e-mail आती रहतीं हैं ...कई बार , blogger जाने पहचाने होते हैं ..कई बार , नाम पूरी तरह पहचाना सा लगता है ..और मेरी जैसी ,ब्लॉग पे पहुँच भी जाती है....!
ReplyDeleteमैंने पूरी IDs तो नही पढीं ! लेकिन बहुत ,बहुत शुक्रिया ...आगाह कराने के लिए !
http://shamasansmaran.blogspot.com
http://kavitasbyshama.blogspot.com
http://lalitlekh.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
maanneeyमाननीय आशीष जी ,आपने यह लेख १५ दिन पहले क्यों नहीं लिखा ?एक ग़लती मुझसे हो चुकी है .मैंने एक रिसर्च की है तो उस दवा के बारे में अधिकाधिक लोगो को बता देना चाहती थी क्योंकि स्वाईन फ्लू का भय पूरे देश में व्याप्त है जिसकी काट उस दवा में थी ...मैंने ४० लोगो को मेल करके वह जानकारी पढने के लिए कही थी .मैं इस ग़लती की आप सभी से माफी मांगती हूँ .वैसे ऐसा करने के पीछे मेरा उद्देश्य सबको लाभ पहुंचाना ही था ...क्योंकि मैं रिसर्च में तन -मन -और धन सिर्फ मानव कल्याण के लिए ही खर्च करती हूँ और मैं जानती हूँ कि मेरा ब्लॉग एक नीरस ब्लॉग है.किन्तु बड़ी कीमती जानकारी देने के लिए मैंने यह ग़लती की .पुनश्च क्षमायाचना
ReplyDeleteSArthak bat kahi apne...mail kholiye to aise spam se rubaru hona padta hai...shayad apki post padhkar logon ka dimag khule.
ReplyDeleteuff... ham itne bhi famous abhi nahi huye hain jitna ki sochte the.. mera naam list me nahi hai.. ;-)
ReplyDeleteबात तो पते की कही है आपने ...समझने की बात है ..
ReplyDeleteapne apeel to damdaar ki hai...bas sunne wale ise sun le...
ReplyDeleteदुखती रग पर हाथ धर दिया आपने आशीष जी...आज तक उस दिन को कोसती हूँ जब अपना ईमेल ब्लॉग पर डाला था. इतने मेल आते हैं की दुखी हो जाती हूँ...अधिकतर मेल फिल्टर कर देती हूँ या स्पैम मार्क कर देती हूँ. अफ़सोस इस बात का होता है की अगर भेज ही रहे हैं तो कमसे कम bcc का प्रयोग करें cc की जगह...ताकि बाकी लोगों को परेशानी न हो...आफत तो तब होती है जब ऐसे मेल आने पर लोग reply भी करते हैं तो reply to all कर देते हैं.
ReplyDeleteआशीषजी शानदार टिप्पणी के लिए यहां जरूर पढिए
ReplyDeletehttp://harshanurag.blogspot.com/2009/08/blog-post_17.html
15 अगस्त पर 15 टिप्पणी .. 26 जनवरी तक क्या होगा ? आपकी मेहनत को सलाम >
ReplyDeleteबस अपनी बात कहते जाइये,टिप्प्णी को माप दंड न समझें ।
ReplyDeleteबस बस बस ....ये तो एकदम अल्फाबेटिकल है ..ऐसी ही एक मेल हमें भी मिली थी |
ReplyDeleteहमने उनको समझाइश देते हुए उत्तर भी दिया था , की ब्लॉग का प्रचार करना है तो भले हिंदी ब्लोगर की तरह दूसरे ब्लोगों पर घूमिये, टिप्पणी करिए तो खुद बा खुद प्रचार हो जाएगा |
इस तरह मेल भेजकर तो सिर्फ आप गुसवा ही रहें /रहीं हैं सबको |
बिलकुल यही जो आपने कहा है |
Sachmuch naainsaafee.
ReplyDelete( Treasurer-S. T. )
At least he/she does not have my email. bach gaye!! par kab tak pata nahii!
ReplyDeleteis tarah ke mail se hum bhi bahut pareshan hain ashish ji....
ReplyDeletemeet
प्रिय दोस्तो !
ReplyDeleteमैं नेट पर अभी खुद को नवागंतुक ही मानता हूं,भी मुझे नेट के अनेक तौर तरीके,तह्जीब से वाकिफ़ होने में शायद कुछ समय और लगेगा,मैं सीखने की प्रक्रिया में हूं ,किसी मित्र के सुझाने पर मैं जब भी कोई पोस्ट अपने दो ब्लॉग्स पर पोस्ट करता हूं ,अपने उन ४०-५० मित्रों जिन्होने मेरी रचनाओं को टिप्पणी कर सराहा है ,मेल से सूचना देता रहा हूं ,कल मैने हिन्दी ब्लॉग टिप्स... पर यह पोस्ट पढी और खुद को गुनहगार समझने लगा हूं
posted by आशीष खण्डेलवाल (Ashish Khandelwal) at Hindi Blog Tips - 5 days ago
अगर आपने ब्लॉग पर अपना ई-मेल पता सार्वजनिक किया है, तो आपके पास भी अनजान लोगों के इस तरह के मेल आते होंगे कि हमारी पोस्ट पढ़िए, उस पर कमेंट कीजिए। जब आप सेंडर का नाम देखते हैं तो पता चलता है कि आप उसे कभी ...
कुछ मित्रों ने तो मुझे मेल कर सूचना देने हेतु आभार प्रगट किया और अधिकांश ने मेरे ब्लॉग पर जाकर टिप्पणी लिखी,कुछ मौन रहे,मैने प्रयास किया कि जो मौन रहे उन्हे मेल न करूं फ़िर भी शायद उन्हे मेरी मेल मिल जाती होम
अगर आपको मेरी इन मेल से कष्ट पहुंचा हो तो मैं क्षमाप्रार्थी हूं ,कृपया मुझे एक मेल कर अपना नाम मेलिंग लिस्ट से हटाने का निर्देश दें जिससे आपके मेल बॉक्स में मेरी अनाधिकार मेल न आए/
मैने अपने उन्ही मित्रों को यह पोस्ट मेल से भी कल भेज दी है आज ्सर्वश्री नीरज गोस्वामी,सर्वत जमाल.शरद कोकास,यशदीप,एवम् सुश्री कनुप्रिया,रंजना,लता सहित २२ मेल मुझे सकारात्मक यानि इन मित्रों ने मेल भेजते रहने को कहा है एक मित्र ने मेल की है आपकी रचनाएं मैं पढ़ता हूं अच्छी लगती हैं पर मुझे मेल न भेजें ,उनका नाम मेलिंग से हटा दिया है,शेष मित्रों के संवाद की प्रतीक्षा है मेल न मिली तो उनके नाम भी ह्टा दूंगा,
श्याम सखा श्याम
आपका सदा सा
श्याम सखा श्याम
काश!! लोग अब भी समझ जायें तो ठीक!!
ReplyDeleteआशीष भाई,
ReplyDeleteमैने नवागंतुक साथी को जो पत्र लिखा है, उसे यहां दे रहा हूं-
प्रियवर,
इतना दुखी न हों। ब्लागजगत में हर तरह के अनुभवों के लिए तैयार रहें। ज्यादातर लोग अभी नेट जाल पर स्पैम मेल्स की वजह से परेशान रहते हैं इसलिए ऐसा अनुभव कभी कभी हो जाता है। मेरे पास भी ब्लाग देखने के आमंत्रण-निमंत्रण आते रहते हैं और उनके आग्रह पर एक बार में वहां हो आता हूं।
ब्लागजगत में आपका लेखन आपके कंटेंट के आधार पर सराहा जाएगा। आप लिखते रहें। सार्थक लेखन की अनदेखी कोई नहीं कर सकता। सुझाव यही है कि स्वयं जितने ज्यादा ब्लागों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे, लोग आपको जानेंगे भी और आपके लिखे को पढ़ने आपके ब्लाग पर भी आएंगे।
शुभकामनाएं...
महोदय आशीष खंडेलवाल जी.....
ReplyDeleteआपका बहुत-बहुत धन्यवाद की आपने मेरा नाम छिपाए रखने की प्रबल कोशिश की लेकिन आपकी आँखों में ही कुछ खामी रह गई होगी नही तो नीचे मेरा नाम भी आप काला कर देते.... मै पूछना चाहता हूँ क्यों आप मेरा नाम छिपाना चाहते थे ? अगर मैंने आपके द्वारा कथित ४६९ लोगो को ई-मेल किया तो उसे स्वीकार्य करने में मुझे क्यों खेद हो सकती थी ? अपनी पहचान छिपाकर या छिपाए रहने के लिए तो मैंने कुछ नही किया था....... तो आपने ये व्यंग मेरे ऊपर क्यों दे मारा और इतने सारे लोगो में मेरी जग हँसाई कराई...... आप मेरे ब्लॉग पर १८ घंटे में आये १५ टिपण्णी के बारे में कह रहें हैं बल्कि मुझे उस लेख पर आये एक ही प्रतिक्रिया की जरूरत थी जो क्रमशः ऊपर से दूसरा अजीत भय्या का था...... आपको मै बता दूँ की मुझे भीड़ की जरूरत नही है बल्कि सच्चो की आवश्यकता है.......
अब यहाँ मौजूद कुछ कमेन्टबाजों को उत्तर देना चाहूँगा की मुझे भी अफसोस रहा की आपके ई-मेल का पता मेरे पास नही रहा और हमारे बीच कभी कोई संवाद स्थापित नही हो सका..... बल्कि मै अब कह सकता हूँ की भगवान ने मुझे कुछ कमनजर लोगों में अपनी बुद्धि खपाने से बचा लिया......
आशीष जी मै आपको बताना चाहूँगा की मै सिविल सेवा परीक्षा का प्रतियोगी हूँ और उसी में सफलता प्राप्त करने हेतु प्रयास रात हूँ..... जबकि अपने शौक के फलस्वरूप मै ब्लॉग जगत में समय निकाल कर दस्तक देता हूँ...... जिसमे आपके इस व्यंग रुपी लेख ने मुझे ऐसा धक्का दिया है की एकबार तो ब्लॉग जगत से ही नाता तोड़ लेने का मन हुआ परन्तु ऐसी घटनाओ से ऐसा कार्य करना मेरी कमजोरी को प्रर्दशित कराती..... अतः मैंने यही बने रहने का निश्चय किया..... शायद आगे आप मुझे बेशर्म भी कहते हुए कोई लेख पुनः छाप दे...... एक बात मै आपको और बताऊंगा की आपके इस लेख के फलस्वरूप पिछले शाम से मुझे चैन नही मिला है और मै पूरी रात सो भी नही पाया हूँ....... और पढाई तो दूर-दूर तक साथ नही थी.... खैर मैंने इसी से प्रेरित होकर अपने ब्लॉग पर एक लेख लिखा है और पुनः सिर्फ आपको ही उस पर आमंत्रित कर रहा हूँ..... इस आशा के साथ की आपकी प्रतिक्रिया उस पर जरूर मिलेगी और यहाँ भी मुझे सिर्फ एक ही टिपण्णी का इंतजार रहेगा वो है सिर्फ आपका.......जिससे आपके स्पष्टवादी होने का प्रमाण मिल सके......
धन्यवाद.......
आशीष जी,
ReplyDeleteआज हम भी बैठे हैं आपके कुचे में गुनहगारों की तरह....
ठोकर न लगाना हम ख़ुद हैं गिरती हुई दीवारों की तरह.....
हुजुर ३ महीना पाहिले ब्लॉग्गिंग का दुनिया में कदम रखें हैं..उसके पाहिले ब्लागगिंग कौन चिडिया है जानते तक नहीं थे.....किसी का ऐसा ही ईमेल आईडिया दिया रहा.....सो भेज दिए....और आप जैसन धुरन्ध्रन के आगे हमरी का बिसात....हम या तो लाइन का लास्ट में होते हैं.....या जहाँ खड़े होते हैं उहाँ से लैनवे गाईब हो जाता है....आज हमरा जन्मदिन है और कसम खा रहे हैं अब किसी को, कभी भी, कुछ भी नहीं भेजेंगे.....चाहे टिपण्णी मिले कि न मिले...और इक बात हमरा लिस्ट इत्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्ता लम्बा नहीं है.....
लोकेन्द्र जी,
ReplyDeleteदो दिन नेट से दूर था इसलिए देरी से जवाब देने का मुझे अफसोस है।
आपने मेरी पोस्ट को बहुत गलत तरीके से देखा है, जबकि मैं स्पष्ट कर चुका था कि इस पोस्ट का आशय क्या है। मेरी मंशा को जानने के लिए आप इस ब्लॉग पर पिछले हफ्ते की गई मेरी टिप्पणी देखिए-
आशीष खण्डेलवाल (Ashish Khandelwal) said...
आपकी बात से शत-प्रतिशत सहमत।
मेरे ब्लॉग का प्रयोजन हर तरह से नए ब्लॉगर को प्रोत्साहन देना ही है। मैं चाहता हूं कि हिन्दी ब्लॉगिंग में ज्यादा से ज्यादा लोग आएं और अंतर्जाल पर हिन्दी के खज़ाने की समृद्ध करें। इस पोस्ट में मैंने कहीं पर भी न तो किसी साथी का नाम दिया है और न ही पहचान का अन्य तरीका। जिन साथियों की मेल यहां उद्धृत्त की गई हैं, वे केवल मिसाल के लिए हैं और साफ़ कह चुका हूं कि इसे अन्यथा न लिया जाए।
आपको इस बात पर तो सहमत होना पड़ेगा कि आप किसी भी अनजान मेल बॉक्स में अनचाही मेल नहीं छोड़ सकते। मेल छोड़ दी वह भी ठीक.. लेकिन इस तरह 469 अनजान लोगों को ई-मेल पते मुहैया नहीं करा सकते। जब ये मेल पते ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच फैलने लगते हैं तो प्रोफेशनल स्पैमर्स के हाथ भी आसानी से पहुंच जाते हैं। उनकी जुगत तो नए-नए ई-मेल पते जुटाना ही होती है। तो क्या नए साथियों को यह अधिकार दे दिया जाए?
हैपी ब्लॉगिंग :)
August 17, 2009 1:33 PM
इसके बाद मैं आपका ध्यान इस ब्लॉग पर कल प्रकाशित हुए आदरणीय समीरलाल जी के इस कथन की ओर दिलाना चाहता हूं-
आज बात करते हैं ईमेल के विषय में.
कृपया ईमेल को ईमेल ही रहने दें, ब्रॉडकास्टिंग का माध्यम न बनायें.
आपने पोस्ट लिखी, बहुत अच्छा किया. आप उसे पढ़वाना चाहते हैं, यह और भी अच्छी बात है किन्तु इस हेतु ईमेल का इस्तेमाल. इस कार्य हेतु एग्रीगेटरर्स हैं. ब्लॉगवाणी और चिट्ठाजगत इस कार्य को पूर्ण सफलता से निष्पादित कर रहे हैं. फिर ईमेल किसलिये?
ईमेल निजी वार्तालाप और पत्र व्यवहार के लिए है. ईमेल पता भी निजी ही होता है और आप १०० लोगों को एक साथ ईमेल भेज कर एक तो पते की निजता को भंग कर रहे हैं, दूसरे आप पर विश्वास करके जिसने आपको अपना पता दिया, उसे सार्वजनिक कर आप उसके साथ विश्वासघात भी कर रहे हैं.
आश्चर्य तब होता है, जब सीधे मना करने का भी कोई असर नहीं होता. मानो उस ईमेल को वो इग्नोर कर अपना ईमेल ब्रॉडकास्ट पूर्ववत जारी रखते हैं.
मुझे लगता है कि जिस तरह किसी भी वस्तु के इस्तेमाल के पूर्व जैसे आप उसके संचालन बारे में सारी जानकारी एकत्रित कर जान लेते हैं वैसे ही ईमेल के सामान्य शिष्टाचार के बारे में भी आपको जानकारी एकत्रित कर उसे आत्मसात करना चाहिये.
कहीं ऐसा न हो कि आपकी हरकत से तंग आ कोई आपको ब्लॉक कर दे और फिर आप जब जरुरी कार्य हेतु निजी पत्र भी भेजना चाहें तो वो उस तक न प्राप्त हो.
तो अंत में:
हमने देखे हैं हजारों पते
ब्लॉक होते हुए...
ईमेल को ईमेल ही रहने दो,
कोई और नाम न दो..
इसके अलावा मुझे कुछ और नहीं कहना.. मेरा इरादा आपके मन को ठेस पहुंचाना नहीं था.. हैपी ब्लॉगिंग.
पहले यहाँ से अपने ब्लॉग के लिए फोटो लोक करने का टूल लिया था. अब काम नहीं कर रहा. आपने यहाँ से भी लोक हटा दिया है. अब फोटो लोक करने के लिए क्या किया जाए. कृपया बताएंगे तो बड़ी कृपा होगी.
ReplyDeletesaharanavinjoshi@gmail.com