गिटहब के बारे में और जानकारी देता मेरा एक आलेख राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
इन दिनों बुल्ली बाई ऐप चर्चा में है, जिस पर समुदाय विशेष की महिलाओं की अपमानजनक सूची तैयार की गई। पहले सुल्ली डील्स ने भी ऐसा ही घृणित काम किया था। दोनों ही ऐप ओपन सोर्स प्लेटफॉर्म गिटहब पर तैयार किए गए।
क्या है गिटहब
गिटहब सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट और वर्शन कंट्रोल के लिए इंटरनेट होस्टिंग प्रदाता है। यह ओपन सोर्स पर भी काम करता है। यहां कोई भी व्यक्ति अपनी कोडिंग की फाइल्स को स्टोर कर रन कर सकता है, दूसरा इसे सुधारने में योगदान दे सकता है और तीसरा इस कोड का उपयोग कर अपना संशोधित वर्शन तैयार कर सकता है। यहां आपको बग ट्रेकिंग, फीचर रिक्वेस्ट, टास्क मैनेजमेंट, इंटीग्रेशन और विकी जैसी सुविधाएं भी मिलेंगी।
7.3 करोड़ डेवलपर्स की पसंद
गिटहब पर 7.3 करोड़ से अधिक डेवलपर्स ने प्रोजेक्ट तैयार किए हैं। यहां 20 करोड़ से अधिक रिपोजेटरीज यानी सोर्स कोड की फाइल्स हैं। 40 लाख से अधिक संगठन इससे जुड़े हैं, जिनमें फॉच्र्यून 100 की 84 प्रतिशत कंपनियां हैं। इसका इस्तेमाल गूगल, अमेजन, फेसबुक, आइबीएम भी करती हैं।
2008 में शुरुआत, दस साल बाद माइक्रोसॉफ्ट ने खरीदा
- अप्रेल 2008 में गिटहब की इंटरनेट पर मौजूदगी हुई। इसे टॉम प्रेस्टन—वर्नर, क्रिस वेनस्ट्रेथ, पी जे हयेट और स्कॉट केकोन ने बनाया था। इसके बाद इसने 2012 में 10 करोड़ डॉलर की फंडिंग जुटाई और 2015 में इसे सिकोइया केपिटल से 25 करोड़ डॉलर मिले।
- जून 2018 में माइक्रोसॉफ्ट ने गिटहब का 7.5 अरब डॉलर में अधिग्रहण कर लिया। इस अधिग्रहण के बावजूद गिटहब के पास स्वतंत्र रूप से काम करने की आजादी थी, क्योंकि सत्य नाडेला क्लाउड कंप्यूटिंग और ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर के हिमायती रहे हैं।
- जुलाई 2020 में गिटहब का आर्काइव प्रोग्राम शुरू हुआ। गिटहब ने अपनी अहम पब्लिक रिपोजेटरीज का आर्काइव करने का फैसला किया, जिनका आकार 21 टीबी था। इन्हें मैट्रिक्स 2डी बारकोड के साथ पिक्लफिल्म आर्काइव रील में स्टोर किया गया है और ये रील 500 से 1000 साल तक सुरक्षित रहेंगी।
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