आखिर वह दिन आ ही गया, जब आपका हिन्दी चिट्ठा आपके लिए कमाऊ पूत साबित होने जा रहा है। प्रमुख इंटरनेट कंपनी लूफलिरपा हिन्दी ब्लॉग्स के लिए एडसेंस की तर्ज पर स्थानीय विज्ञापनों का बाजार खोलने जा रही है। आप इस वेबसाइट पर अपने ब्लॉग को आसानी से रजिस्टर करा सकते हैं और विज्ञापनों के बदले एक सुनिश्चित आय पा सकते हैं। कमाल की बात यह है कि यहां आपकी कमाई विज्ञापनों पर क्लिक से नहीं, बल्कि उन्हें दिखाने से होती है। यानी एक बार विज्ञापन लगाने के बाद हर महीने 5000 रुपए से लेकर 15000 रुपए तक की सुनिश्चित आय आपके खाते तक पहुंच जाती है।
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आज का दिन गुजरने के बाद इसे लेआउट फीचर में जाकर एक क्लिक पर डिलीट भी किया जा सकता है।
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लगता है आज लोगो को अप्रेल फूल बना ही डालोगे !
ReplyDeleteब्यूटीफूल :)
ReplyDeleteधन्यवाद ज्ञापन.
ReplyDeleteभाई, मैंने आपकी अनुमति के बिना आपकी साईट से उम्दा माल उड़ा कर अपने ब्लॉग पर लगा लिया है.
बहुत बढिया. हमको पिछले महैने looflirpa से साढे सात हजार का चेक आया था. आपने बहुत काम की बात बताई.
ReplyDeleteरामराम.
आशीष जी आज तो आप "ताऊ भतीजा" दोनों मिलकर अप्रेल फूल बना रहे हो ! देखते है कौन बचता है ! वैसे ताऊ के साथ होते हुए कम ही लोगो के फूल बनने से बचने की संभावनाए है ! हम तो ताऊ पत्रिका से ३०० न.पर ही बन लिए !
ReplyDeleteअरे भइया! अभी कल ही समझा रहे थे कि हिन्दी भाषा को विज्ञापन से दूर रखा गया है औश्र आज ही ये खबर?
ReplyDeleteलगता है कि गूगल ने आपकी पिछली पोस्ट पढ कर हिन्दी ब्लाग के विज्ञापन लेना शुरू कर दिये? बधाई हो आपको................... विज्ञापन दिलवाने के लिए नहीं............... स्वस्थ मजाक के लिए।
ममता जी के ब्लॉग पर भी एक लिंक दिखा परन्तु ऊपर अरविन्द जी की चेतावनी पढ़ ली थी. यहाँ आप वाला तो बड़ा sofisticated है. आभार.
ReplyDeleteआपने भी सीधे सादे पाठकों को अप्रैल फूल बनाने का निश्चय कर ही लिया न ।
ReplyDeleteअप्रैल फूल ha ha ha ha ha
ReplyDeleteregards
गर्व से कहते हैं हम भी बन गए 'फूल'! कसम से इतने फूल इकट्ठा हो जायेंगे आपके पास , एक बड़ी माला बना कर किसी नेता के गले में पहना सकते हैं.
ReplyDeleteहम नहीं फसेगे .......भइया
ReplyDeleteऔर कोई देखो ....
हम तो इस सब के बिना ही ब्लोग से १०००० रूपये महीना कमा रहे है :)
ReplyDeleteआपके ब्लोग पर नहीं दिख रहे? बहुत नाइंसाफी है...
ReplyDeletejante hai "ortem" company kaise bani thi?
ReplyDelete"Metro" ko ulta karke....
waise "looflirpa" bhi bindaas naam hai...
Ek baar to chaunka hi diya tha aapne! vo to bhala ho sudhi bloggers ka jinki tippaniyan padh lin.....
ReplyDeleteये तो सत्यम के टक्कर का उल्टा-पुल्टा है गुरू जी।
ReplyDeleteमजेदार है आपका style
ReplyDelete! :)
BHAI WAH ASHISH ACHHA APRIL FOOL BANAYA...
ReplyDeleteEK BAR KO TO LAGA BADI SAHI JUGAR HO GAYI...
ये तो मजा आ गया...
ReplyDeleteमीत
दर्पण जी का कमेंट न देखते तो हम तो आज Looflirpa बने ही थे ।
ReplyDeleteकितनी दुखती रग पर हांथ रख दिया आपने हिन्दी ब्लॉगरों के ! काश यह सच होता !
यकीन मानिए मजा आ गया...!
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी , पर हमें पैसे का मोह नहीं है हम माया में नहीं फसाना चाहते .
ReplyDeleteआप हर महीने ऐड से पैसे बनाइये यही हमारी शुभकामना है .
ReplyDeletemast...wakai maza aa gaya :D waise ham soch rahe hain ki aaj ka din chunki aise kaarya shuru karne ke liye shubh nahin hai...kal is link par click karenge, kamai ek din der se hi sahi :D
ReplyDelete:) बधाई हो आपको ..अब तक आप तो लखपति बन ही चुके होंगे :) बढ़िया रहा यह :)
ReplyDeleteha ha ha...
ReplyDeleteachha raha ye mazak bhi...
अरे वाह जी, आपने तो कमाल कर दिया. लेकिन आपके ब्लॉग पर आते ही टिप्पणी पढ़ कर हम बच गए... वर्ना लूफलिरपा बन ही जाते. आखिर पैसा किसे प्यारा नहीं है...
ReplyDeleteअब तक 411...वाह...
ReplyDeleteथोड़ी देर के लिए बन तो हम भी गए थे, पर आपको क्यों बताएं !?
ReplyDeleteहीस तहुब!!
ReplyDeleteइसे भी लूफलिरपा की तरह ही पढ़ना. :)
काश आपकी यह बात अगर सच साबित हो जाती तो मै तो टिप्पणी देने के लिए और क्लीक करने के लिए दो चार आदमी भी नियुक्त कर लेता |
ReplyDeleteअभी तक तो हम गये नहीँ लूफर-लिपा कम्पनी की साईट पर। आप का आभार कि आपने हिन्दी भाषियों को समृद्धि का रास्ता बताया।
ReplyDeleteएक बात हम भी आपको बताएं - हाल ही में सत्यम के मामले में एक कम्पनी का नाम आया था घोटाले में, मेटास। इस कम्पनी के नाम को देखें - MAYTAS (लूफरलिपा की तर्ज़ पर) पर। और यह तो वैधानिक रूप से बनाये गयी वास्तविक कम्पनी है। हम इस कम्पनी के नामकरण की अनॉटमी को जानते थे और MAYTAS से चोट खाये भी। इसलिये लूफरलिपा की साईट पर जाने का मन नहीँ बना। आपको पुन: आभार।
आप या तो हिन्दी वालों को धनी बनायेंगे या मूर्ख! दोनो एक साथ नहीं बना सकते!
ReplyDeleteहिंदी के ब्लागरों से ऐसा मजाक अब बर्दाश्त नहीं किया जायेगा, समझे!
ReplyDeleteनहीं समझे? मज़ाक कर रहा हूँ भाई. आज नहीं karenge तो कब karenge?achchha लगा,धन्यवाद.
पता नहीं आप अप्रैल फ़ूल बना रहे हैं या वाक़ई ऐसा है। लेकिन हिन्दी ब्लॉगिंग के ज़रिए अच्छी-ख़ासी कमाई की जा सकती है, इसमें कोई शक़ नहीं है। ख़ुद मेरे हिन्दी ब्लॉग के पिछले महीने के चैक की रकम छः अंकों में है।
ReplyDeleteचलिये अब बुद्धू बनाना छोडिये और बताइये कि मेरा प्रोफाइल गलती से delete हो गया है, अब क्या करूं?
ReplyDelete563 हाज़िर हुजुर | पर गुरूजी खटोला बिछा ही रहेगा यानी विजेट ब्लॉग पर ट्राफी की तरह लगा ही रहेगा
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत खूब। अप्रैल फूल बनाने का यह तरीका पसंद आया। बधाई।
ReplyDelete;)
ReplyDeleteबहुत अच्छा, क्या बात है |
ReplyDeleteAakhir aapne bevkoof bana hi diya na.......
ReplyDeleteaap ki har khusi k liye jaha hoga
ReplyDeleteaap ki har khuse ke intjar me
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