जी हाल बहुत बुरे हैं? आज सुबह मैंने कुछ प्रमुख भारतीय शहरों के "आधिकारिक ब्लॉग" पर अध्ययन में अपने तीन घंटे बिगाड़े हैं। नतीजा सिफर ही रहा है। यह अध्ययन आपके सामने पेश कर रहा हूं। नतीजा भले ही मनमाफिक नहीं रहा हो, लेकिन इसमें मनोरंजन खूब हुआ है। आप भी मजे लीजिए-
अगर आप शहर के "आधिकारिक ब्लॉग" का मतलब नहीं समझे तो बता दूं कि मैंने आधिकारिक ब्लॉग का दर्जा उस ब्लॉग को दिया है, जो ब्लॉगर पर उस शहर के नाम पर रजिस्टर है। जैसे- मुंबई का आधिकारिक ब्लॉग हुआ- http://mumbai.blogspot.com और दिल्ली का हुआ http://delhi.blogspot.com. अब तो आप समझ ही गए होंगे। आइए जानते हैं कुछ प्रमुख शहरों के "आधिकारिक ब्लॉग" के हाल-
मुंबई
http://mumbai.blogspot.com/
मुंबई जितनी व्यस्त है, यह ब्लॉग उतना ही ठाला है। मुंबई रोवर शीर्षक वाला यह बेचारा ब्लॉग एक अदनी सी पोस्ट को भी तरस गया है। रोहनजी ने इसे मार्च 2002 में बनाया था, लेकिन करीब साढ़े सात साल की अवधि में एक भी पोस्ट नहीं की है। वाह रोहनजी, ब्लॉगर पर शुरुआत में आपको इतना अच्छा पता क्या मिला, आपने तो बेचारे मुंबईवासियों का हक ही छीन लिया। एक वेलकम पोस्ट तो कर देते।
http://bombay.blogspot.com/
मैंने सोचा कि बॉम्बे ब्लॉग पर ही कुछ तलाशूं। गया तो यहां भी निराशा ही हाथ लगी। आठ सितंबर, 2003 को विनोदजी ने लिखा कि यह उनकी पहली पोस्ट है। इसके बाद पांच साल के अंतराल में एक भी पोस्ट नहीं दिखाई दी। ब्लॉग के विवरण में वादे करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी गई है। लेकिन ब्लॉग पर कुछ भी नजर नहीं आता।
दिल्ली
http://delhi.blogspot.com/
पुनीतजी ने पते में दिल्ली शब्द लिया, लेकिन ब्लॉग को केवल तकनीकी जानकारी बांटने में ही इस्तेमाल करने की सोची। उन्होंने 2006 में कुल जमा दो पोस्ट की है। मेरी यही सलाह है कि आप इन प्रविष्ठियों को नहीं पढ़ें, क्योंकि इनमें पढ़ने लायक कुछ है ही नहीं।
http://newdelhi.blogspot.com/
फिर मैंने सोचा कि क्यों नहीं नई दिल्ली को आजमाया जाए। इस ब्लॉग पर रणधीरजी ने सितंबर 2007 में एक प्रविष्ठि लिखी है। आइए भारत की राजधानी नई दिल्ली की बात करें। पर अफसोस, इसके बाद वे इस ब्लॉग पर कोई बात नहीं कर पाए। हां, इस ब्लॉग के विवरण में भी दिल्ली को लेकर कई वादे किए गए हैं।
http://new-delhi.blogspot.com/
दिल्ली पर एक और ब्लॉग देखिए। जॉयजी ने इस ब्लॉग की अक्टूबर 2004 के बाद कोई सुध नहीं ली है। कुछ तो लिख देते जनाब। या फिर यह टाइटल किसी ऐसे दिल्ली प्रेमी के नाम छोड़ते, जो इस पर दिल्ली के दिल को बयां कर पाता।
कोलकाता
http://kolkata.blogspot.com/
डॉ. दीपक भी ऐसे ही आलसी ब्लॉगर निकले, जिन्होंने ब्लॉग तो बना लिया, लेकिन एक पोस्ट के बाद उसकी कभी सुध नहीं ली। यह पोस्ट अब साढ़े छह साल की हो चुकी है। इस ब्लॉग के विवरण में भी यही मंशा जताई गई है कि यह ब्लॉग कोलकाता का सच्चा प्रतिनिधित्व करेगा, लेकिन .. अब मैं क्या लिखूं।
चेन्नई
http://chennai.blogspot.com/
अबाउट चेन्नई शीर्षक वाला यह ब्लॉग पिछले छह साल से अंडर कंस्ट्रक्शन है। ब्लॉग लिखने वाले कृष्णाजी इसके बारे में अब तक तो शायद सबकुछ भूल चुके होंगे। शायद यूजर नेम और पासवर्ड भी। याद हों तो प्लीज इसे कंस्ट्रक्ट कर दीजिए।
बैंगलोर
http://bangalore.blogspot.com/
इस खाली ब्लॉग के स्वामी नीलेशजी हैं और लगता है कि इसे उन्होंने आर्चिटेक्चर फर्म के इस्तेमाल के लिए अगस्त, 2002 में बनाया था। लेकिन बेचारा यह ब्लॉग भी किसी पोस्ट के लिए तरस रहा है।
चंडीगढ़
http://chandigarh.blogspot.com/
सीएचडी जी ने इस ब्लॉग का शीर्षक तो रीड दिस.. रखा है, लेकिन इस पर कुछ है ही नहीं जिसे पढ़ा जाए। यहां तो कोई काला अक्षर भी नहीं, बस सफेद पर्दा ही है जी। अब इसे क्या पढ़ें। यह ब्लॉग भी अक्टूबर, 2002 से वीरानगी में खो रहा है।
लखनऊ
http://lucknow.blogspot.com/
भारतीय शहरों में मुझे यह ब्लॉग सबसे सीनियर लगा। यह नवंबर 2000 से अस्तित्व में है, पर एन जी (इसके लेखक या शायद लेखिका) कुछ लिख ही नहीं पाए। खैर जो भी हो, नवाबों के शहर का ब्लॉग वरिष्ठता में तो अव्वल निकला।
पटना
http://patna.blogspot.com/
पटना शहर का यह ब्लॉग डायनेमिक इंडिया को दिखाने का छलावा देता है, लेकिन इसके खजाने में भी सिर्फ एक ही पोस्ट है। यह पोस्ट नवंबर 2004 में लिखी गई है। उसके बाद लेखक महोदय इंडियावन गायब हो गए। वापस आइए और गतिशील भारत को पाठकों तक पहुंचाइए।
पुणे
http://pune.blogspot.com/
केदारजी के जोश को सलाम, जो उन्होंने जून 2002 में इस ब्लॉग के जरिए पुणे को विश्वपटल पर लाने की सोची। आप इसके आगे भी बढ़ते तो ज्यादा अच्छा लगता। पर जी, जब बड़े-बड़े शहरों वाले ब्लॉगर ही सो रहे हैं तो इनसे क्या उम्मीद करें। जो हो रहा है होने दीजिए।
जयपुर
http://jaipur.blogspot.com/
आखिर में मेरे अपने शहर जयपुर के 'आधिकारिक ब्लॉग' की बात। यह ब्लॉग धर्मेन्द्रजी ने लिखा है और इसकी इकलौती पोस्ट 29 मार्च 2004 को प्रकाशित हुई है। यह ब्लॉग ऊपर बताए गए सभी ब्लॉग्स से आगे हैं। बेहतर भी है। या यूं कहें कि अंधों में काना राजा। जी हां, इसकी इकलौती पोस्ट में समस्त जानकारी जयपुर को लेकर दी गई है। धर्मेंद्रजी ने दूसरे ब्लॉगर्स की तुलना में एक कदम तो आगे बढ़ाया।
अब फैसला आप पर है। अगर आपके शहर का ब्लॉग ऊपर नहीं है, तो उसे ढूंढिए और अगर उसमें कुछ उल्लेखनीय हो तो यहां बताइए। उसे आपके नाम के साथ जोड़ा जाएगा। वैसे मुझे खुशी इस बात की है कि मैंने अपने समय की बर्बादी का बदला आपका समय बर्बाद कर ले ही लिया। इसके लिए प्लीज मुझे माफ कर दीजिए....
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Wednesday, November 5
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आपके शहर के ब्लॉग के क्या हाल हैं?
About Ashish Khandelwal
वर्ष 2003 से विज्ञान एवं तकनीकी विषयों पर लेखन। देश के प्रतिष्ठित समाचार पत्र—पत्रिकाओं में तीन हजार से अधिक आलेख प्रकाशित। 'राजस्थान पत्रिका' में पिछले नौ वर्ष से साप्ताहिक कॉलम 'टेक गुरु' का प्रकाशन। डिजिटल और सोशल मीडिया विशेषज्ञ। सम्पर्क करें: com.ashish@gmail.com
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मेल के जरिए कमेंट भेजने वाले सभी साथियों का शुक्रिया। संभवतः ब्लॉगर की किसी खामी की वजह से अभी तक कमेंट्स नहीं जा पा रहे थे। अब यह ठीक से काम कर रहा है। आप पोस्ट पर कमेंट भेज सकते हैं।
ReplyDeleteरोज़ एक उपयोगी जानकारी ,ब्लोगेर्स के लिए फ़रिश्ते जैसे हो
ReplyDeleteबहुत मेहनत की है आपने आशीष इस पोस्ट में ..बहुत सी जानकारी मिली इस के माध्यम से ..ब्लॉग लिखने के लिए ही बनाने चाहिए ..:)
ReplyDeletebahoot hi accha
ReplyDeleteaapke is lekh se niymit likhane kee prerna mili. mai abhi naya hu hindi mai comments nahi likh pata margdarshan karejee. dhanyavad
ReplyDeleteआशीष जी, आपकी ये पोस्ट मैनें आज पढी तो खयाल आया के अपने शहर के ब्लोग के बारे में भी कुछ जानुं तो मुझे मेरे शहर के यु.आर.एल. पर एक ब्लोग रजिस्टर मिला
ReplyDeletehttp://agra.blogspot.com
Manna Dey के नाम से ब्लोग बनाया गया है जिस पर दो पोस्ट है आखिरी पोस्ट 21 October 2003 को लिखी थी
अपने शहर "नरसिंहपुर" के नाम पर मैंने भी एक ब्लॉग बनाया था. किन्तु उस पर केवल २ पोस्ट भेजी हैं. आपके आलेख से आँखें खुल गईं हैं अब नियमित लिखने की कोशिश करूंगा.......
ReplyDeleteआनंदकृष्ण, जबलपुर